राज्य के बड़े राजनेताओं की सिफारिश और दबाव के बूते मुख्यमंत्री की टीम में शामिल होना अब उत्तराखण्ड में बीते जमाने की बात हो गई है। सीएम सचिवालय हो या फिर निजी स्टाफ, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जांच परखकर काबिल लोगों को ही अपने अमले में जोड़ रहे हैं। अभी तक जिम्मेदारी उठाने और परिणाम देने वाले कार्मिकों को ही मुख्यमंत्री ने तवज्जो दी है।
हाल ही में ईमानदार छवि के तीन अफसरों ललित मोहन रयाल, नवनीत पांडे और जगदीश चंद्र काण्डपाल को अपना अपर सचिव नियुक्त करके धामी ने साफ संदेश दिया है कि उनकी टीम में तिकड़मी लोगों के लिए कोई जगह नहीं है।
लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री का पदभार ग्रहण करते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट संदेश दिया था कि जनता को सुशासन, पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन उपलब्ध कराना उनकी प्राथमिकता रहेगी। इसके लिए उन्होंने ईमानदार छवि के अधिकारियों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां देनी शुरु कर दीं।
मुख्यमंत्री ने सरल स्वभाव और बेदाग छवि की आईएएस अफसर राधा रतूड़ी को अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री का दायित्व सौंपकर अपने सचिवालय में अच्छे अधिकारियों को जगह देने की शुरुआत की।
इसके साथ ही उन्होंने सूबे के आला अफसरों को ताश के पत्तों की तरह फेंट दिया, जिसमें त्वरित परिणाम देने वाले अधिकारियों को अहम दायित्व सौंपे गए और नाकारा अधिकारियों को हाशिए पर धकेल दिया गया। इसी बीच धामी अपनी टीम (सीएम सचिवालय और निजी स्टाफ) को भी विस्तार देते गए। तमाम लोगों की सिफारिश होने के बावजूद उन्होंने राजेश सेठी को अपना जनसम्पर्क अधिकारी नियुक्त किया।
दिलचस्प बात यह है कि मुख्यमंत्री धामी की पारदर्शी कार्यप्रणाली को देखते हुए आरएसएस और भाजपा से जुड़े तमाम कार्यकर्ता उनके साथ बतौर स्वयं सेवक लगातार काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने भी भरोसा जताते हुए उन्हें अहम जिम्मेदारियां सौंप रखी है
सेठी धामी के पहले कार्यकाल में भी इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन कर चुके हैं। विरोधी सवाल उठा रहे हैं कि धामी अपनी टीम तय करने में अनावश्यक देरी कर रहे हैं लेकिन धामी उनकी परवाह किए बगैर टीम के हर सदस्य का चयन सोच समझकर मैरिट के आधार पर ही कर रहे हैं।