चन्द्रशेखर जोशी
रामनगर:-भारतीय समाज की पहली शिक्षिका सावित्रीबाई फुले के 191 वीं जयंती को पुछड़ी में स्थित सावित्रीबाई फुले सायंकालीन में विभिन्न रँगारंग कार्यक्रमों के बीच मनाया गया।
कोसी खनन से जुड़े मजदूर परिवारोंके लिए रचनात्मक शिक्षक मण्डल द्वारा संचालित स्कूल में हुए विभिन्न कार्यक्रमों में विशेष आकर्षण का केंद्र रहा ज्योतिबा फुले,सावित्रीबाई फुले के जीवन संघर्ष को दिखाता नाटक।इस नाटक के जरिये छोटे छोटे बच्चों फुले दम्पत्ति के आम जन विशेष रूप से बालिका शिक्षा के लिए किए गए संघर्ष को जीवंत कर दिया।
नाटक में दिखाया गया कि कैसे उच्च वर्गों के दबाब में ज्योतिबा फुले के पिता उनको घर से निकाल देते हैं,ऐसे में उनके दोस्त उस्मान शेख व उनकी बहन फातिमा शेख फुले दम्पत्ति को शरण दे उनके स्कूल खोलने के अभियान में सहयोगी बनती हैं। नाटक में भावना ने साबित्री बाई फुले, आरिश ने ज्योतिबाफुले, प्रियांशु आर्य ने उसमान शेख, राबिया ने फातिमा शेख व पूजा, काजल, नेहा, सचिन, अल्फैज़, मनीषा ने स्कूली बच्चोँ की भूमिका निभाई।
बच्चों द्वारा सावित्रीबाई फुले का चित्र भी बनाया गया।अनेक अन्य रँगारंग कार्यक्रम भी हुए।स्कूल के शिक्षक सुमित कुमार ने सावित्रीबाई फुले के जीवन पर विस्तार से बात रखी,कहा जब सावित्रीबाई स्कूल चलाने जाती थीं तो उच्चवर्णीय समाज के लोग उनपर गोबर फेंकते थे पर वे अपने उद्देश्य से डिगी नहीं।
शिक्षक रमेश बिष्ट ने वर्तमान दौर में बालिका शिक्षा की आवश्यकता पर विस्तार से बात रखी।शिक्षक मण्डल संयोजक नवेन्दु मठपाल ने कहा शिक्षा जितनी महंगी होगी उतना ही बालिकाओं को शिक्षा मिलना मुश्किल होता जाएगा।इसलिए शिक्षा को पूर्णतः सरकारी ही होना चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता मनोनीत ग्राम प्रधान मो ताहिर ने की। इस मौके पर बालकृष्ण चन्द, अर्जुन नेगी,रोहित खत्री, आरजू सैफी, शमशाद, डोली देवी, शमीना, रुखसार, गुंजन देवी, साईस्ता, पूनम देवी, शांति देवी, प्रेमलता, ज्योति देवी, शबाना, रुखसाना मौजूद रहे।


