उत्तराखंड में अवैध अतिक्रमण को लेकर एक बार फिर विवाद खड़ा हो गया है। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद शनिवार, 27 दिसंबर को ऋषिकेश के शिवाजी नगर, मीरा नगर, बापू ग्राम, मनसा देवी और गुमानीवाला क्षेत्रों में वन विभाग की टीम वन भूमि की नपाई के लिए पहुंची, जिसका स्थानीय लोगों ने जोरदार विरोध किया।
स्थानीय लोगों ने शिवाजी नगर में वन विभाग की टीम को प्रवेश करने से रोक दिया और पुलिस-प्रशासन व वन विभाग के खिलाफ करीब तीन घंटे तक प्रदर्शन किया। हालात इतने तनावपूर्ण हो गए कि पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारी लगातार लोगों को समझाने का प्रयास करते रहे, लेकिन प्रदर्शनकारी मानने को तैयार नहीं हुए। अंततः स्थिति नियंत्रित करने के लिए हल्का बल प्रयोग करना पड़ा, जिसके बाद वन विभाग की टीम पुलिस सुरक्षा में क्षेत्र में प्रवेश कर सकी।
वन विभाग और प्रशासन की ओर से प्रदर्शनकारियों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए बताया गया कि किसी भी आवासीय मकान को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि केवल खाली पड़ी वन भूमि की नपाई और चिन्हांकन किया जा रहा है और लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि इससे एक दिन पहले भी वन विभाग की टीम भारी पुलिस बल के साथ बापू ग्राम क्षेत्र में पहुंची थी। जब इस संबंध में वन विभाग से बात की गई तो बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार बापू ग्राम की लगभग 500 एकड़ भूमि में मौजूद भूखंडों की नाप-जोख की जा रही है।
स्थानीय निवासियों के अनुसार, अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि निर्मित मकानों को छोड़कर दो से तीन सौ गज के खाली प्लॉटों की नपाई की जाएगी। हालांकि, लोगों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि वे तीन पीढ़ियों से यहां रह रहे हैं और इस स्थिति के लिए सरकार जिम्मेदार है। वन विभाग की इस कार्रवाई से पूरे क्षेत्र में डर और असमंजस का माहौल बना हुआ है।
स्थानीय जनता ने साफ शब्दों में कहा है कि वे वन विभाग को किसी भी कीमत पर आगे नहीं बढ़ने देंगे और अहिंसात्मक तरीके से इस कार्रवाई का विरोध करेंगे।
स्थिति बिगड़ने की सूचना पर ऋषिकेश के मेयर शंभू पासवान भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि 22 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट से आदेश जारी हुआ था, जिसके अनुपालन में वन विभाग कार्रवाई कर रहा है। मेयर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार मकानों को छोड़कर खाली जमीन पर ही वन विभाग अपने बोर्ड लगाएगा।
मेयर शंभू पासवान ने यह भी बताया कि आदेश के बाद वन विभाग और शहरी विकास सचिव की ओर से आनन-फानन में एक समिति गठित की गई, जिसके कारण स्थानीय लोगों को पहले से कोई नोटिस नहीं दिया जा सका। जानकारी के अभाव में ही क्षेत्र में रहने वाली करीब 1.5 से 2 लाख की आबादी में भय का माहौल बन गया है।




