उत्तराखंड की केदारनाथ विधानसभा सीट पर बुधवार को मतदान की प्रक्रिया शुरू हो गई, जो शाम छह बजे तक जारी रहेगी। सुबह आठ बजे से शुरू होकर, सुबह नौ बजे तक 4.30 प्रतिशत मतदान हुआ। 11 बजे तक यह आंकड़ा बढ़कर 17.6 प्रतिशत हो गया, जबकि दोपहर एक बजे तक कुल 34.40 प्रतिशत मतदान हो चुका था। मतदान के दौरान मतदाता पोलिंग बूथों पर पहुंच रहे हैं और मतदान के प्रति उनका उत्साह देखा जा रहा है। खासकर बुजुर्ग मतदाताओं को पोलिंग बूथ तक पहुंचाने में छात्र मदद कर रहे हैं।
कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत और भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल ने भी अपने-अपने वोट डाले। इस उपचुनाव में कुल 90,875 मतदाता भाजपा, कांग्रेस और अन्य छह प्रत्याशियों के राजनीतिक भविष्य का फैसला करेंगे, जिनमें 44,919 पुरुष और 45,956 महिला मतदाता शामिल हैं। मतदान के लिए 173 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं, और सभी पोलिंग पार्टियां अपने गंतव्यों पर पहुंच चुकी हैं।
इस उपचुनाव की अहमियत सिर्फ एक विधानसभा सीट तक सीमित नहीं है। यह उत्तराखंड में सत्तारूढ़ भाजपा की प्रतिष्ठा और विचारधारा के लिए भी बड़ा सवाल बन चुका है। वहीं, कांग्रेस की नज़र इस चुनाव में जीत हासिल करने के साथ 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए एक मजबूत संदेश देने पर है। लोकसभा चुनाव में पांचों सीटें हारने के बाद कांग्रेस के हौसले पस्त थे, लेकिन बदरीनाथ और मंगलौर विधानसभा उपचुनावों में जीत ने पार्टी में नई उम्मीदों का संचार किया। अब उसने ‘मिशन केदारनाथ’ के तहत प्रचार में पूरी ताकत झोंकी है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने इस मोर्चे की कमान संभाली है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केदारनाथ उपचुनाव में बगावत को बड़ी सूझबूझ से संभालकर पार्टी और विपक्ष के बीच एक मजबूत संदेश दिया है। इसके साथ ही, भाजपा में इस चुनाव को लेकर कुलदीप रावत और ऐश्वर्य रावत जैसे उभरते नेताओं की भूमिका भी अहम मानी जा रही है। यह उपचुनाव भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए एक कठिन परीक्षा है, क्योंकि इसमें न केवल पार्टी की प्रतिष्ठा दांव पर है, बल्कि इन उभरते नेताओं के भविष्य की राह भी तय होगी।