बड़ी ख़बर-उत्तराखंड विधानसभा में भर्तियों पर महाधिवक्ता ने राय देने से किया मना

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उत्तराखंड विधानसभा में 2016 से पहले की भर्तियों का मामला पेचीदा हो गया है। इस मामले में राज्य के महाधिवक्ता ने कोई भी राय देने के साफ मना कर दिया है।


दरअसल उत्तराखंड विधानसभा में बैक डोर से हुई भर्तियों को लेकर पिछले दिनों काफी हंगामा मचा। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने एक कमेटी बनाकर भर्तियों की जांच कराई और इसके बाद 228 भर्तियों को गलत तरीके से हुआ माना गया।

इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने इन भर्तियों को निरस्त कर दिया। इसके बाद हंगामा मचा। यहां गौर करने वाली बात ये है कि विधानसभा अध्यक्ष ने सिर्फ 2016 से 2022 तक की भर्तियों पर ही कार्रवाई और उसके पहले की नियुक्तियों को छोड़ दिया।

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हालांकि कोटिया कमेटी की रिपोर्ट में विधानसभा में 2001 से 2022 तक हुई सभी नियुक्तियों को गलत माना था।


जब सवाल उठे तो विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि वो 2016 से पहले की भर्तियों को लेकर विधिक राय लेंगी। हालांकि इस संबंध में लगभग तीन महिनों तक कोई हलचल नहीं दिखी। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष पर फिर एक बार सवाल उठे तो उन्होंने राज्य के महाधिवक्ता से इस संबंध में राय मांगी।

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हालांकि अब राज्य के महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने इस संबंध में कोई विधिक राय देने से मना कर दिया है। उन्होंने मामले को हाईकोर्ट में विचाराधीन होने का हवाला देते हुए राय देने में असमर्थता जताई है।


अब सवाल उठता है कि 2001 से 2016 के बीच हुई नियुक्तियों को लेकर क्या फैसला होगा ये अभी तय नहीं है लेकिन माना जा रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष को अपनी छवि बचाने के लिए इन नियुक्तियों को रद्द करना पड़ सकता है।

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अगर ऐसा हुआ तो बड़े पैमाने पर विधानसभा में हुई नियुक्तियों को रद्द करना पड़ेगा। अब ये फैसला विधानसभा अध्यक्ष को लेना है कि वो क्या कदम उठाती हैं। फिलहाल उन्होंने इस संबंध मं कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

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