चन्द्रशेखर जोशी
Ramnagar-राजकीय इंटर कालेज ढेला के बच्चों ने विश्विख्यात फिल्म एल्बाट्रॉस देख प्लास्टिक के दुष्प्रभावों को जाना।यह फिल्म एल्बाट्रॉस पक्षी पर बनी है।उत्तर प्रशांत महासागर के एक निर्जन द्वीप में लाखों की संख्या में यह पक्षी रहता है परंतु वहां समुद्र मार्ग से पहुंच रहे प्लास्टिक कचरे को खाने से बड़ी संख्या में यह विशालकाय चिड़िया मर रही है। मृत पाई गई अनेकों एल्बाट्रॉस का जब पोस्टमार्टम किया गया तो उनके भीतर पर्याप्त प्लास्टिक पाया गया।
जिम जंगल रिट्रीट ढेला में हुए इस फिल्म कार्यक्रम के दौरान प्लास्टिक के दुष्प्रभावों पर बातचीत रखते हुए नेचर एक्सपर्ट कुहेलीका बिष्ट ने कहा प्लास्टिक बैग्स से होने वाले पर्यावरण को नुकसान को कम करने की दिशा में हर एक इंसान कुछ बेहद जरूरी कदम उठा सकता है। सतर्कता और जागरूकता दो बेहद जरूरी चीजें हैं प्लास्टिक के बैग्स को संभाल कर रखें। इन्हें कई बार इस्तेमाल में लाएं। सामान खरीदने जाने पर अपने साथ कैरी बेग (कपड़े या कागज के बने) लेकर जाएं। ऐसे प्लास्टिक के इस्तेमाल से बचें जिसे एक बार इस्तेमाल के बाद ही फेंकना होता है जैसे प्लास्टिक के पतले ग्लास, तरल पदार्थ पीने की स्ट्रॉ और इसी तरह का अन्य सामान।
मिट्टी के पारंपरिक तरीके से बने बर्तनों के इस्तेमाल को बढ़ावा दें।नेचर गाइड नाजिर ने बताया प्लास्टिक सामान को कम करने की कोशिश करें। धीरे-धीरे प्लास्टिक से बने सामान की जगह दूसरे पदार्थ से बने सामान अपनाएं। प्लास्टिक बैग और पोलिएस्ट्रीन फोम को कम से कम इस्तेमाल करने की कोशिश करें। इनका रिसायकल रेट बहुत कम होता है।अपने आसपास प्लास्टिक के कम इस्तेमाल को लेकर चर्चा करें।खुद प्लास्टिक को खत्म करने की कोशिश न करें। न पानी में, न जमीन पर और न ही जमीन के नीचे प्लास्टिक खत्म होता है। इसे जलाना भी पर्यावरण के लिए अत्यधिक हानिकारक है।कार्यक्रम का समापन प्रतिभागी बच्चों द्वारा हम होंगे कामयाब गीत से हुआ।इस मोके पर मनोज शर्मा,नवेंदु मठपाल,उषा पवार,ज्योति फर्त्याल आदि मौजूद रहे।