जोशीमठ। कॉर्बेट हलचल
सामरिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण जोशीमठ शहर में भू-धंसाव का क्षेत्र सेना और आईटीबीपी कैंप की ओर बढ़ना शुरू हो गया है। सेना मुख्यालय को जोड़ने वाली सड़क भी धंसनी शुरू हो गई है। जल्द इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो देश की सुरक्षा पर भी इसका असर पड़ सकता है।
बता दें कि जोशीमठ से भारत-तिब्बत सीमा महज 100 किलोमीटर दूर है। यह संसाधनों से भरपूर अंतिम सरहदी शहर है। यहां सेना की ब्रिगेड और भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की एक बटालियन तैनात है। जोशीमठ में स्काउट आईबेक्स ब्रिगेड का मुख्यालय भी है। यहां से नीति और माणा घाटी भारत तिब्बत सीमा से जुड़ती हैं। लेकिन भू-धंसाव का क्षेत्र अब सेना और आईटीबीपी के कैंप की ओर भी बढ़ना शुरू हो गया है। कैंप की सड़क धंसने के साथ ही सीमा का जोड़ने वाला मलारी हाईवे पर धंस गया है। ऐसे में सेना को आवागमन व रसद की दिक्कत हो सकती है।
जिस तरह से यहां बड़ी तेजी से भू-धंसाव हो रहा है उससे स्थानीय लोगों के साथ सेना की चिंता भी बढ़ गई है। खासतौर से तब जब चीन से भारत के संबंधों में तल्खी बनी हुई है। भारतीय सुरक्षा बलों के बाद इस सीमांत इलाके के नागरिक दूसरी रक्षा पंक्ति के पहरेदार हैं। भू-धंसाव की घटना पर यदि प्रभावी रोक नहीं लगी तो ये देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा कर सकता है।
1962 में हुई जोशीमठ में सेना की तैनाती
वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के समय इस सीमांत इलाके में भारतीय सेना नहीं थी, लेकिन उसके बाद इस संवेदनशील क्षेत्र में सेना की तैनाती की गई। इसके अलावा भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के जवान भी यहां तैनात किए गए। अक्सर भारत के सीमावर्ती क्षेत्र बाड़ाहोती में चीनी सैनिकों द्वारा घुसपैठ की घटनाएं होती रहती हैं। वर्ष 2022 में चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की। वर्ष 2021 में बाड़ाहोती में चीन के करीब 100 सैनिकों ने बॉर्डर क्रॉस किया था। इतना ही नहीं वर्ष 2014-18 तक करीब 10 बार चीन सीमा पर घुसपैठ कर चुका है। हालांकि हर बार आईटीबीपी के जवानों के आगे चीन के सैनिकों की नहीं चली।