बिग ब्रेकिंग-(डिजिटल अरेस्ट स्कैम) Uttrakhand STF ने 03 करोड़ का भण्डाफोड़ करते हुये एक अभियुक्त को उ0प्र0 से किया गिरफ्तार

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एसटीएफ उत्तराखण्ड की साइबर क्राईम पुलिस टीम द्वारा सम्पूर्ण भारत वर्ष में प्रचलित डिजिटल अरेस्ट स्कैम  03 करोड़ का भण्डाफोड़ करते हुये एक अभियुक्त को बहराइच उ0प्र0 से किया गिरफ्तार।

राजपुर, देहरादून निवासी एक पीडित को साइबर ठगों द्वारा डिजिटल हाउस अरेस्ट कर 03 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि ठगे जाने के मामले में हुआ इस गिरोह का पर्दा फाश।

गिरोह द्वारा ग्रेटर मुम्बई पुलिस ऑफिसर एवं सी0बी0आई0 अधिकारी बन Whats App पर वीडियो कॉल/वॉइस कॉल  के माध्यम से पीडित को लगभग 48 घण्टे तक रखा गया था डिजिटल अरेस्ट

गिरफ्तार अभियुक्त द्वारा धोखाधडी में प्रयुक्त किये जा रहे बैंक खाते के विरुद्ध देश भर के विभिन्न राज्यों में 76 शिकायतें दर्ज होना पायी गयी तथा उक्त खाते में 6 करोड़ से अधिक धनराशि का पाया गया संदिग्ध लेन देन

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एस0टी0एफ0 श्री नवनीत सिंह द्वारा जानकारी देते हुये बताया कि राजपुर, देहरादून निवासी एक पीडित द्वारा साइबर क्राईम पुलिस स्टेशन देहरादून पर आकर सूचना अंकित कराई गई थी कि दिनांक 20.05.2024 को उसके मोबाइल नं0 पर Fedex कोरियर से एक कॉल आयी कि आपका पार्सल मुम्बई एयरपोर्ट पर नारकोटिक्स वालों ने पकड़ लिया है, जिसमें कुछ आपत्तिजनक सामग्री जैसे 5-6 पासपोर्ट, ड्रग्स आदि सामान है उक्त व्यक्ति ने प्रार्थी को उसका आधार नं०, मोबाइल नं० व उसकी कुछ व्यक्तिगत जानकारी बतायी। उसके द्वारा जब कहा गया, कि उसके द्वारा कोई पार्सल नहीं भेजा गया, तो बताया कि यह पार्सल आपके नाम से है अब इसके सम्बन्ध में जो भी कार्यवाही होगी वह आप पर ही होगी और अब इन सबसे बचना बहुत मुश्किल है और कॉल को मुम्बई पुलिस को फॉरवर्ड कर दी जिसके बाद उक्त अन्य व्यक्ति द्वारा अपने

आपको ग्रेटर मुम्बई पुलिस का बड़ा अफसर बताया और कहा कि आपके खिलाफ ड्रग ट्रेफिंग और मनी लान्ड्रींग का केस हो गया है। जिसमें आपके खिलाफ जाँच होगी और आपको मुम्बई आना होगा और शायद आपको जेल भी जाना पड़े। उक्त व्यक्ति तरह-तरह की बातें कर उसे भय में डालने लगा जिसके कारण वह अत्यधिक भयभीत हो गया और उसकी सोचने समझने की शक्ति क्षीण हो गई। उक्त व्यक्ति ने कहा कि मैं आपको इन सबसे बचाने का प्रयास करता हूँ और अपने बड़े अफसरों से आपके सम्बन्ध में बात करता हूँ। उक्त व्यक्ति ने प्रार्थी को कहा कि हम व्हॉटसअप के माध्यम से विडियो कॉल व वॉइस कॉल करेंगे और अब आप हमारे अतिरिक्त किसी भी व्यक्ति से ना तो बात करेंगे और ना ही हमारी मर्जी के बिना घर से बाहर जायेंगे।

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उक्त व्यक्ति दिनांक 20.05.2024 से अगले दिन दिनांक 21.05.2024 तक लगातार उससे व्हॉटसअप विडियो व वॉइस कॉल के माध्यम से जुड़ा रहा और तरह-तरह की बातें बता कर डराता रहा। उक्त व्यक्ति बीच-बीच में ऐसा प्रतीत करा रहा था कि वह अपने पुलिस के बड़े अफसरों से बात कर रहा है। इसके बाद कहा कि आपको अगर ड्रग्स ट्रेफिंग व मनी लान्ड्रिंग से बचना है तो आपके एकाउन्ट में जितना भी पैसा है, उसकी जाँच करनी होगी की वह पैसा हवाला का है या नहीं। इसके लिए आपको सारा रुपया हमारे द्वारा बताये गये एकाउन्ट में डालना होगा जिसकी जाँच के बाद आपको आपका सारा पैसा लौटा दिया जायेगा। यदि आपने ऐसा नहीं किया तो आपको व आपके परिवार को मुम्बई आना होगा और आपके ऊपर केस चलेगा और आप लोगों को जेल भी जाना पड़ेगा। इससे भय में आकर अपने तथा अपने परिवार को जेल जाने से बचाने के लिए उसके द्वारा दिनांक 21.05.2024 को उक्त व्यक्ति द्वारा बताये गये खाते में 2,00,00,000 (दो करोड़ रुपए) आर.टी.जी.एस. के माध्यम से डाल दिये। तथा दिनांक 22.05.2024 को उक्त व्यक्ति के

कहे अनुसार अपने एस०बी०आई० से रू0 76,12,678.00 व एक्सिस बैंक के खाते से रू0 24,00,000 रूपए (चौबीस लाख) ट्रांसफर कर दिये। जिसके बाद उसे एहसास हुआ कि उसके साथ कोई बहुत बड़ी धोखाधड़ी हुई है। इस प्रकार उक्त लोगों द्वारा उसे जानमाल का भय दिखा कर जबरन रू0 3,00,12,678 (तीन करोड बारह हजार छः सौ अठत्तर रूपये) हड़प कर लिये वह इस घटना से इतना भयभीत हो गया कि वह तुरन्त उक्त घटना की शिकायत भी नहीं कर पाया

साइबर अपराधियों द्वारा पीडित को डिजिटल हाउस अरेस्ट/ डिजिटल अरेस्ट कर पीडित की जिन्दगी भर की कमाई धोखाधडी से हड़प ली गयी थी । प्रकरण की गम्भीरता के दृष्टिगत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एस0टी0एफ0 द्वारा घटना के शीघ्र अनावरण हेतु पुलिस टीम गठित कर अभियोग के सफल एवं शीघ्र अनावरण हेतु आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये । साईबर क्राईम पुलिस द्वारा घटना में प्रयुक्त बैंक खातों/मोबाइल नम्बरों आदि की जानकारी हेतु सम्बन्धित बैंकों, सर्विस प्रदाता कम्पनी, तथा मेटा एवं गूगल आदि से पत्राचार कर डेटा प्राप्त किया गया और प्राप्त डेटा का  गहनता से विश्लेषण करते हुये तकनीकी / डिजिटल साक्ष्य एकत्र कर इस घटना में शामिल मुख्य अभियुक्त को चिन्ह्ति किया गया एवं  तलाश जारी करते हुये कई स्थानों पर दबिश दी गयी, अभियुक्त अत्यंत शातिर था और लगातार अपने ठिकाने बदल रहा था। 

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किन्तु आखिरकार साईबर पुलिस टीम द्वारा अथक मेहनत एवं प्रयास से तकनीकी संसाधनों का प्रयोग करते हुये अभियोग में संलिप्त मुख्य अभियुक्त  मनोज पुत्र नारायण, उम्र-27वर्ष को सिसई हैदर, सिलोटा रोड  बहराइच, उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार किया गया जिसके कब्जे से घटना में प्रयुक्त  मोबाइल हैण्डसेट, जिसमें वादी से 02 करोड की धनराशि स्थानान्तरित करवाये गये बैंक खाते में लगे एस0एम0एस0 अलर्ट नं0 के सिम कार्ड सहित बरामद हुआ। गिरफ्तार अभियुक्त द्वारा धोखाधडी में प्रयुक्त किये जा रहे उक्त बैंक खाते के विरुद्ध देश भर के विभिन्न राज्यों में अब तक 76 शिकायतें दर्ज होना पायी गयी एवं उक्त खाते में 6 करोड से अधिक धनराशि का संदिग्ध लेन देन पाया गया है।

अपराध का तरीका:-

डिजिटल हाउस अरेस्ट एक ऐसा तरीका है जिसमें जालसाज, लोगों को उनके घरों में ही फंसाकर उनसे धोखाधड़ी करते हैं। ये जालसाज फोन या वीडियो कॉल के जरिए डर पैदा करते हैं। साइबर अपराधियों द्वारा बेखबर लोगों को अपने जाल में फंसाकर धोखा देकर उनकी गाढी कमाई का रुपया हडपने के लिये मुम्बई क्राईम ब्रान्च, सी0बी0आई0 ऑफिसर, नारकोटिक्स डिपार्टमेण्ट, साइबर क्राइम, IT या ED ऑफिसर के नाम से कॉल कर ऐसी गलती बताते हुये जो आपने की ही न हो जैसे आपके नाम/ आधार कार्ड आदि आई0डी0 पर खोले गये बैंक खातों में हवाला आदि का पैसा जमा होने अथवा आपके नाम से भेजे गये कोरियर/पार्सल में प्रतिबंधित ड्रग्स, फर्जी दस्तावेज पासपोर्ट आदि अवैध सामग्री पाये जाना बताकर मनी लॉण्ड्रिंग, नारकोटिक्स आदि के केस में गिरफ्तार करने का भय दिखाकर व्हाट्सएप वाइस/वीडियो कॉल, स्काइप आदि के माध्यम से विवेचना में सहयोग के नाम पर अवैध रुप से डिजिटल हाउस अरेस्ट कर उनका सारा पैसा आर0बी0आई0 से जाँच/वैरिफिकेशन कराने हेतु बताये गये खातों में ट्रांसफर करवाकर धोखाधडी को अंजाम दिया जाता है।

कभी-कभी वे झूठ बोलकर पीड़ित के रिश्तेदारों या दोस्तों को भी किसी अपराध या दुर्घटना में उनकी संलिप्तता के बारे में बताते हैं, जिससे पीड़ित घबरा जाए। इसके बाद ये जालसाज खुद को पुलिस या सरकारी अफसर बताते हुए कहते हैं कि अगर वे पैसे देंगे तो मामला बंद हो जाएगा। इतना ही नहीं, जालसाज तब तक उन्हें वीडियो कॉलिंग करते रहते हैं जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती। ये जालसाज कई तरह के हथकंडे अपनाते हैं। कभी-कभी तो वे नकली पुलिस स्टेशन या सरकारी दफ्तर का सेटअप बना लेते हैं और असली पुलिस की वर्दी जैसी दिखने वाली वर्दी पहन लेते हैं।

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गिरफ्तार अभियुक्त का नाम पता-
1- मनोज पुत्र स्व0 नारायण निवासी बसौना, दहौरा, केसरगंज, थाना रानीपुर, जिला बहराइच उ0प्र0 हाल किराये का मकान सिसई हैदर सिलौटा रोड, कोतवाली देहात, बहराइच उ0प्र0।  उम्र-27 वर्ष ।

गिरफ्तारी का स्थान-  सिसई हैदर सिलौटा रोड, बहराइच उ0प्र0 ।

बरामदगी– 01 मोबाइल हैण्ड सैट मय सिम कार्ड

गिरफ्तारी पुलिस टीम-

1-निरी0 त्रिभुवन रौतेला
2-उ0नि0 कुलदीप टम्टा
3-उ0नि0 राहुल कापडी
4-कॉन्स0 पवन पुण्डीर
5-कॉन्स0 शुभम चौधरी

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एस0टी0एफ0 उत्तराखण्ड श्री नवनीत सिंह द्वारा जनता से अपील की है कि डिजिटल अरेस्ट एक स्कैम है जो वर्तमान में पूरे भारत वर्ष में चल रहा है, कोई भी सी0बी0आई0 अफसर, मुम्बई क्राईम ब्रान्च, साइबर क्राइम, IT या ED अफसर या कोई भी एजेंसी आपको व्हाट्सएप के माध्यम से डिजिटल अरेस्ट करने हेतु नोटिस प्रेषित नहीं करती है। साथ ही कोई व्यक्ति आपको फर्जी दस्तावेज, अवैध सामग्री आदि के नाम पर डरा धमका रहा है या पैसों की मांग कर रहा है तो इस सम्बन्ध में STF/साइबर थाने में अतिशीघ्र अपनी शिकायत दर्ज करायें। इसके अतिरिक्त किसी भी प्रकार के लोक लुभावने अवसरों/फर्जी साइट/धनराशि दोगुना करने व टिकट बुक करने वाले अंनजान अवसरो के प्रलोभन में न आयें । किसी भी प्रकार के ऑनलाईन कम्पनी की फ्रैन्चाईजी लेने, यात्रा टिकट आदि को बुक कराने से पूर्व उक्त साईट का स्थानीय बैंक, सम्बन्धित कम्पनी आदि से पूर्ण वैरीफिकेशन व भली-भाँति जांच पड़ताल अवश्य करा लें तथा गूगल से किसी भी कस्टमर केयर का नम्बर सर्च न करें व शक होने पर तत्काल निकटतम पुलिस स्टेशन या साइबर क्राईम पुलिस स्टेशन से सम्पर्क करें । अगर आपको ऐसी ही कोई कॉल या मैसेज आए तो इसकी शिकायत जरूर करें। सरकार ने साइबर और ऑनलाइन धोखाधड़ी को रोकने के लिए संचार साथी वेबसाइट पर चक्षू  पोर्टल भी लॉन्च किया हुआ है। आप इस तरह की घटना की शिकायत 1930 साइबरक्राइम हेल्पलाइन पर या http://www.cybercrime.gov.in पर भी दर्ज करा सकते हैं।

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