वैज्ञानिक आईंनस्टीन की जयंती व स्टीफन हाकिंग की पुण्य तिथि पर लगा पुस्तक मेला

ख़बर शेयर करें -

चन्द्रशेखर जोशी

रामनगर:-वैज्ञानिक आईंनस्टीन की जयंती व स्टीफन हाकिंग की पुण्य तिथि पर लगा पुस्तक मेलाजाने माने वैज्ञानिक आईंनस्टीन की जयंती व स्टीफन हाकिंग की पांचवीं पुण्य तिथि पर आज राजकीय इंटर कालेज ढेला में पुस्तक मेला लगा।

पुस्तक मेले का उद्घाटन विद्यालय के प्रधानाचार्य श्रीराम यादव ने किया।फिर उज्यावक दगडी टीम द्वारा सफदर हाशमी के गीत किताबें कुछ कहती हैं व पढ़ना लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालो गीत गाया गया।भौतिक विज्ञान प्रवक्ता मनोज जोशी ने स्टीफन हाकिंग के बारे में बताते हुए कहा पुण्य तिथि पर दुनिया के जाने माने वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग का 76 साल की उम्र में आज ही के दिन 5 साल पहले निधन हुआ।

यह भी पढ़ें 👉  पुलिस और स्मैक तस्कर के बीच मुठभेड़, तस्कर घायल, 260 ग्राम स्मैक बरामद

वो एक ऐसी बीमारी से पीड़ित थे, जिसके चलते उनके शरीर के कई हिस्सों पर लकवा मार गया था. लेकिन इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और विज्ञान के क्षेत्र में नई खोज जारी रखी.हॉकिंग ने ब्लैक होल और बिग बैंग थ्योरी को समझने में अहम भूमिका निभाई थी।

हॉकिंग के पास 12 मानद डिग्रियाँ थीं और अमरीका का सबसे उच्च नागरिक सम्मान उन्हें दिया गया.यूनिवर्सिटी ऑफ़ केम्ब्रिज में गणित और सैद्धांतिक भौतिकी के प्रोफ़ेसर रहे स्टीफ़न हॉकिंग की गिनती आईंस्टीन के बाद सबसे बड़े भौतकशास्त्रियों में होती थी।

स्टीफ़न हॉकिंग का जन्म इंग्लैंड में आठ जनवरी 1942 को हुआ था. हमेशा व्हील चेयर पर रहने वाले हॉकिंग किसी भी आम इंसान से इतर दिखते थे.विश्व प्रसिद्ध महान वैज्ञानिक और बेस्टसेलर रही किताब ‘अ ब्रीफ़ हिस्ट्री ऑफ टाइम’ के लेखक स्टीफ़न हॉकिंग ने शारीरिक अक्षमताओं को पीछे छोड़ते हु्ए यह साबित किया था कि अगर इच्छा शक्ति हो तो इंसान कुछ भी कर सकता है।

यह भी पढ़ें 👉  हल्द्वानी में अतिक्रमण के खिलाफ प्रशासन का अभियान, व्यापारियों में हड़कंप

अपनी खोज के बारे में हॉकिंग ने कहा था, ”मुझे सबसे ज्यादा खुशी इस बात की है कि मैंने ब्रह्माण्ड को समझने में अपनी भूमिका निभाई. इसके रहस्य लोगों के खोले और इस पर किये गये शोध में अपना योगदान दे पाया।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड में पश्चिमी विक्षोभ कमजोर होने से बारिश और बर्फबारी में कमी, जल संकट की आशंका

मुझे गर्व होता है जब लोगों की भीड़ मेरे काम को जानना चाहती है.’किताबों में प्रेमचंद,विष्णु प्रभाकर,गिजूभाई बधेका, रस्किन बांड,अरविंद गुप्ता,स्टीफन हाकिंग,आजादी के आंदोलन के नायकों से संबंधित पुस्तकें,जयंत विष्णु नारलीकर की किताबें मुख्य रूप से मौजूद रहीं। बोर्ड परीक्षाओं के दिनों में हुए अवकाश के दौरान घर पर पढ़ने के लिए लगभग 100 बच्चों ने पुस्तकें ली।

तानिया अधिकारी,धीरज नेगी, गोरव मावड़ी,भावना नेगी ने बुकस्टॉल का जिम्मा सम्हाला।इस मोके पर पुस्तक मेला आयोजक अंग्रेजी प्रवक्ता नवेंदु मठपाल,सी पी खाती,सुभाष गोला, बालकृष्ण चंद,नफीस अहमद,प्रधानाध्यापक राजीव चौहान,उषा पवार, जया बाफिला, पद्मा मौजूद रहे।