मौसम में इस तारीख से बदलाव, बारिश और बर्फबारी के आसार

ख़बर शेयर करें -


उत्तराखंड में मौसम जल्द बदलने वाला है। इसके साथी ही उत्तराखंड में बारिश बर्फबारी का दौर शुरु हो सकता है और इसके साथ ही राज्य इस साल का अंत और नए साल की शुरुआत कड़कड़ाती ठंड के बीच होने की उम्मीद हो चली है।


मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार राज्य में पश्चिमी विक्षोभ की हलचल बढ़ी है। इस विक्षोभ के सक्रिय होने से राज्य के पर्वतीय इलाकों में बारिश और इसके बाद बर्फबारी का सिलसिला शुरु हो सकता है। इससे तापमान में तेजी से कमी आएगी और राज्य में कड़कड़ाती ठंड की शुरुआत हो सकती है। माना जा रहा है कि 27 दिसंबर से मौसम में तब्दीली दिखने लगेगी।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड में तीन दिन भारी बारिश का अनुमान, अलर्ट, video बुलेटिन जारी


वहीं मौसम विभाग ने फिलहाल 27 दिसंबर तक मौसम के शुष्क और साफ रहने की उम्मीद जताई है। बारिश और बर्फबारी की फिलहाल कोई उम्मीद नहीं दिख रही है लेकिन 27 तारीख के बाद मौसम बदलेगा।


वहीं राज्य के मैदानी इलाको में कोहरा छाया रह सकता है। देहरादून, हरिद्वार और उधम सिंह नगर में कोहरे की चादर देखी जा सकती है।
वहीं तापमान में गिरावट देखने को मिल सकती है। अधिकतम तापमान में दो से चार डिग्री सेल्सियस की कमी देखने को मिल सकती है।

यह भी पढ़ें 👉  ठंडी फुहारों की दस्तक: उत्तराखंड में शुरू होगा बारिश का दौर


पर्यटकों को रहता है इंतजार
उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में बर्फबारी का इंतजार पर्यटकों को भी खूब रहता है। उत्तराखंड में बर्फबारी का आनंद लेने के लिए बड़े पैमाने पर पर्यटक आते हैं। मसूरी और धनोल्टी में पर्यटकों की बड़ी आमद होती है। इसके साथ ही राज्य के पर्यटन कारोबारियों को भी बर्फबारी के मौसम का इंतजार रहता है।


पारा गिरा, झरने जमे
उत्तराखंड के अधिकतर पर्वतीय इलाकों में पारा तेजी से गिर चुका है। कई इलाकों में पारा माइनस में है। धारचूला की व्यास घाटी में गुंजी का अधिकतम तापमान माइनस तीन और न्यूनतम तापमान माइनस नौ डिग्री सेल्सियस पहुंच चुका है। नावीढांग का न्यूनतम तापमान माइनस 17 और अधिकतम तापमान माइनस सात है। नस्यारी की जोहार घाटी के मिलम का न्यूनतम तापमान माइनस 10 और अधिकतम तापमान माइनस पांच डिग्री सेल्सियस है। ठंड के चलते अधिकतर झरने जम चुके हैं। इसके साथ ही नदियों में पानी भी बेहद कम हो गया है। लगातार पड़ रही ठंड के चलते ग्लेशियर काफी नीचे तक आने लगे हैं इससे नदियों में पानी की आपूर्ति बेहद सीमित होने लगी है