चन्द्रशेखर जोशी
Ramnagar-कुमाउनी के प्रतिष्ठित कवि ,गायक हीरा सिंह राणा को आज उनकी 81 वीं जयंती पर राजकीय इंटर कालेज ढेला में विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से याद किया गया।कार्यक्रम की शुरुआत प्रातकालीन सभा में विद्यालय की सांस्कृतिक टीम उज्यावक दगडी के आकांक्षा सुंदरियाल,खुशी बिष्ट,कोमल सत्यवली ,खुशी शर्मा,दीपक आर्या,संजय बिष्ट,भावना नेगी,सानिया अधिकारी द्वारा राणा के गीत लस्का कमर बांधा के सस्वर गायन से हुई।
अंग्रेजी प्रवक्ता नवेन्दु मठपाल ने श्री राणा के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया, हीरा सिंह राणा उत्तराखंड के उन कलाकारों में से हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन उत्तराखंड की लोक संस्कृति को समर्पित किया।
70 के दशक में हीरा सिंह राणा ने कालजयी गीतों से अपनी पहचान बनाई. देश विदेश में विभिन्न मंचों तक उत्तराखंड की लोक संस्कृति को पहुंचाया. 1987 में प्यूली व बुराशं नाम से उनका कविता संग्रह प्रकाशित हुआ. उत्तराखंड राज्य बनने के बाद चली लूस-खसोट और खोखले विकास पर दुःख और टीस उनके गीतों में सहज दिखती है. हीरा सिंह राणा के जन्मदिन पर आज उनके गीत की यह पंक्ति खूब याद आती है।
कैक तरक्की कैक विकास
हर आँखा में आंस ही आंस
जे.ई कैजां बिल के पास
ए.ई मारूँ पैसों गास
अटैच्यू में भौरो पहाड़…
यानी किसकी तरक्की किसका विकास, हर आंख में बस उम्मीद ही उम्मीद है, जेई बिल पास करता है और एई पैसों का गास कहता है अटैची में भरा हुआ है पहाड़. राणा के कुमाउंनी गीतों की एलबम रंगीली बिंदी, रंगदार मुखड़ी, सौ मनों की चोरा, ढाई बीसी बरस हाई कमाला,आहा रे जमाना खासी लोकप्रिय हुई।
कला शिक्षक प्रदीप शर्मा द्वारा राणा का शानदार,भव्य चित्र ब्लैक बोर्ड पर उकेरने के साथ साथ उनकी कविता लस्का कमर बांधा को भी चित्र के साथ उकेरा गया। बारहवीं कक्षा के अर्जुन कुमार,संजना बिष्ट,ईशा बिष्ट, अजय कुमार ने राणा के गीतों पर कविता पोस्टर बनाए।इस मौके पर प्रधानाचार्य श्रीराम यादव,मनोज जोशी, नवेंदु मठपाल,सी पी खाती,हरीश कुमार,प्रदीप शर्मा,संजीव कुमार,नफीस अहमद,दिनेश निखुरपा,संत सिंह,सुभाष गोला,बालकृष्ण चंद,शैलेंद्र भट्ट,पद्मा,उषा पवार,जया बाफिला,नरेश कुमार मौजूद रहे।