केदारनाथ आपदा- एमआई 17 और चिनूक ने संभाला मोर्चा, रेस्क्यू

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उत्तराखंड की केदारघाटी में सोमवार से एमआई 17 और चिनूक ने मोर्चा संभाल लिया है। इसके माध्यम से एयर लिफ्ट रेस्क्यू किया जा रहा है। एमआई चारधाम हेलीपैड पर यात्रियों को उतारे जा रहे हैं। जबकि चिनूक गौचर हवाई पट्टी पर यात्रियों को उतारेगा।

बता दें कि 31 जुलाई को हुई अतिवृष्टि से केदारनाथ मार्ग को भारी नुकसान पहुंचा है। गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर तक 16 किमी का मार्ग है, इसमें 10 जगह मार्ग पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। लोक निर्माण विभाग की टीम मार्ग को खोलने में जुटी है। लोनिवि की रिपोर्ट के अनुसार जो स्थितियां हैं उनमें मार्ग को पूर्व की दशा में लाने में करीब एक महीने का समय लग सकता है। वहीं, सेना ने मोर्चा संभालते हुए मंदाकिनी नदी पर अस्थायी ट्राली स्थापित कर दी है। साथ ही वैकल्पिक पुल का निर्माण भी शुरू कर दिया है। 

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गौरीकुंड में घोड़ा पड़ाव के पास लगभग 15 मीटर लंबाई में रास्ता पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। यहां पर लोनिवि श्रमिक वैकल्पिक मार्ग स्थापित करने में जुटे हैं।गौरीकुंड से छोड़ी तक मार्ग पर बोल्डर आने से कुछ जगह आंशिक और कुछ जगह काफी नुकसान हुआ है। छोड़ी से चीरबासा में मलबा आया है, चीरबासा के पास सड़क नष्ट हो गई है। भैरव मंदिर के पास छह मीटर मार्ग क्षतिग्रस्त हो गया है। जंगल चट्टी में दो स्थान पर मार्ग पूरी तरह नष्ट हो गया है, यहां भी लोनिवि की टीम मार्ग को ठीक कर रही है। 

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महादेव फॉल से भीमबली तक कुछ स्थान पर बोल्डर आने से आंशिक रूप से बाधित हुआ है। भीमबली से रामबाड़ा तक मार्ग चार स्थान, रामबाड़ा से लिनचोली तक पांच स्थानों पर मार्ग पूरी तरह टूट गया है, दोनों जगह लोनिवि की टीम वैकल्पिक मार्ग बनाने में जुटी है। टीएफ प्वाइंट में भी मार्ग पूरी तरह टूट गया है। यहां पर 25 श्रमिक वैकल्पिक मार्ग बनाने में जुटे हैं। कुबेर ग्लेशियर में भी मार्ग लगभग पूरी तरह टूट गया है। यहां भी वैकल्पिक मार्ग बनाने को लेकर कार्य हो रहा है।

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 गौरीकुंड से सोनप्रयाग मार्ग को भी नुकसान पहुंचा है। इस मार्ग को ठीक करने की कोशिश में एनएच जुटा है। दूसरी तरफ मशीन पहुंचाने के लिए वैकल्पिक मार्ग समेत अन्य विकल्पों को भी देखा जा रहा है। लोनिवि ने जो रिपोर्ट भेजी है, उसमें कहा गया है कि मार्ग को खोलने के लिए कई जगह कटिंग का काम हो गया है। पर जो फिलहाल स्थितियां हैं, उसमें एक अनुमान के हिसाब से पूर्व की दशा में मार्ग को लाने में एक महीने तक का समय लग सकता है।