चन्द्रशेखर जोशी
रामनगर-कुमाउनी भाषा में साहित्य अकादमी प्राप्त साहित्यकार स्व मथुरादत मठपाल द्वारा कुमाउनी में
निकाली जाने वाली पत्रिका दुदबोलि अब दिल्ली से नए तेवर नए कलेवर के साथ निकलनी शुरू हो गई है।पूर्व में रामनगर से वार्षिक निकलने वाली यह पत्रिका अब त्रैमासिक रूप में दिल्ली से निकल रही है।
आज पत्रिका के नए अंक का विधिवत विमोचन स्व मथुरादत्त मठपाल जी की धर्मपत्नी श्रीमती नंदिनी मठपाल,पत्रिका संपादक चारू तिवारी,महाविद्यालय हिंदी विभाग प्रमुख प्रो गिरीश चंद्र पंत व अन्य गणमान्य लोगों की मौजूदगी में किया गया।पम्पापुर में हुए एक कार्यक्रम में दिल्ली से आए पत्रिका संपादक चारू तिवारी ने जानकारी दी कि अब दुदबोलि त्रैमासिक कुमाउनी पत्रिका के रूप में दिल्ली से निकलेगी
स्व मथुरादत्त मठपाल जी के परिवार की सहमति पर अब इसके प्रकाशन की जिम्मेदारी कुमाउनी भाषा एवं सांस्कृतिक समिति नई दिल्ली ने ली है।15 सदस्यीय टीम अब इसके संपादन, प्रकाशन का काम देख रही है।
जिस प्रकार मठपाल जी ने कुमाउनी भाषा के साथ साथ उत्तराखंड की अन्य भाषाओं के साहित्य और नेपाली साहित्य को लगातार प्रकाशित किया हमारा भी प्रयास रहेगा कि उस परंपरा को जारी रखें।
पत्रिका के 96 पन्नों के इस अंक में प्रो शेखर पाठक का भाषाई विविधता बचानी होगी,जगमोहन रोतेला का कुमाउनी गढ़वाली भाषा हैं सिर्फ बोलि नहीं के अलावा भगवती प्रसाद नोटियाल,दिनेश कर्नाटक, पूरन कांडपाल,रमाकांत बेंजवाल,दिनेश ध्यानी के सारगर्भित आलेख हैं। कुमाउनी,गढ़वाली और रवाल्टी भाषा में कहानियां और कविताएं भी प्रकाशित हैं। वरिष्ठ कुमाउनी साहित्यकार जगदीश जोशी के काव्य संग्रह जैड़डी उज्याव की समीक्षा भी प्रकाशित है। स्व मठपाल की कविताओं का सस्वर पाठ भी किया गया।
इस मौके पर संपादक मंडल सदस्य सुरेंद्र हाल्सी,नवेंदु मठपाल,हरिमोहन मोहन, डा पुष्पेंदु मठपाल,मितेश्वर आनंद,निखिलेश उपाध्याय,भुवन पपने,नवीन तिवारी,सी पी खाती, मौजूद रहे