Corbetthalchalदेहरादून-उत्तराखंड सरकार अब शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई के मूड में है। राज्य के विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने स्पष्ट किया है कि प्रदेश के सभी निजी शिक्षण संस्थानों को आरटीई के अंतर्गत निर्धारित मानकों का पालन अनिवार्य रूप से करना होगा, अन्यथा संबंधित स्कूलों की एनओसी निरस्त कर दी जाएगी।
डॉ. रावत ने अपने शासकीय आवास पर आरटीई अनुपालन की समीक्षा को लेकर आयोजित बैठक में कहा कि प्रत्येक जनपद के मुख्य शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे निजी स्कूलों में आरटीई के अंतर्गत प्रवेश की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर महानिदेशालय को सौंपें। साथ ही सरकारी और निजी विद्यालयों का निरीक्षण कर आवश्यक शैक्षणिक मानकों, मूलभूत सुविधाओं और स्टाफ की उपलब्धता की समीक्षा कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
सख्ती के निर्देश, एनओसी होगी रद्द
मंत्री रावत ने दो टूक कहा कि जिन स्कूलों में आरटीई के तहत विद्यार्थियों को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है, उन्हें पहले नोटिस भेजा जाएगा और आवश्यक कार्रवाई के अंतर्गत उनकी मान्यता रद्द की जा सकती है। इस कार्य में ब्लॉक स्तर पर खंड शिक्षा अधिकारियों और जनपद स्तर पर मुख्य शिक्षा अधिकारियों को ज़िम्मेदारी दी गई है।
बनाया जाएगा शिकायत पोर्टल, लगेंगी सुझाव पेटिकाएं
बैठक में उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने भी भाग लिया। उन्होंने सुझाव दिया कि आरटीई संबंधित शिकायतों के लिए एक विशेष पोर्टल बनाया जाए, जिससे आम जनता की शिकायतों का नियमित और पारदर्शी निस्तारण हो सके। इसके अलावा सभी सरकारी एवं निजी विद्यालयों में शिकायत एवं सुझाव पेटिकाएं लगाने का सुझाव भी दिया गया।
शामिल हुए उच्च अधिकारी
बैठक में विद्यालयी शिक्षा महानिदेशक अभिषेक रोहिला, मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह, आयोग के सचिव डॉ. एस.के. बर्णवाल, निदेशक बेसिक शिक्षा अजय कुमार नौडियाल, निदेशक माध्यमिक शिक्षा डॉ. मुकुल सती, समग्र शिक्षा के एपीडी कुलदीप गैरौला सहित देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल के मुख्य शिक्षा अधिकारी भी उपस्थित रहे।
राज्य सरकार के इस कदम को शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और समानता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है। आगामी दिनों में इस नीति के अमल को लेकर क्या रुख अपनाया जाता है, इस पर सभी की निगाहें रहेंगी।


