हल्द्वानी। कॉर्बेट हलचल
पुलिस विभाग में दरोगा भर्ती मामले में शासन से विजिलेंस को मुकदमा दर्ज करने की अनुमति मिल गई है। इससे भर्ती घोटाले में शामिल लोगों के अलावा 2015 बैच के दरोगाओं की धड़कनें भी तेज हो गई हैं। बताया जा रहा है कि पहली कार्रवाई में विजिलेंस की ओर से करीब 10 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई की जाएगी।
349 दारोगाओं की हुई थी सीधी भर्ती
वर्ष 2015 में 349 दारोगाओं की सीधी भर्ती हुई थी। उस समय भर्ती की पारदर्शिता को लेकर सवाल उठे थे। लोगों की ओर से धांधली की शिकायत की गई थी, लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते मामले को दबा दिया गया। इस बीच सहकारिता, यूकेएसएसएससी और विधानसभा भर्ती घोटाले के शोर के बीच पुलिस भर्ती में अनियमितता के खिलाफ भी आवाज उठी।
भर्ती में गड़बड़ी के सबूत मिले
सीएम धामी ने मामले की प्राथमिक जांच एसटीएफ को सौंपी। बताया जा रहा है कि एसटीएफ को जांच में भर्ती में गड़बड़ी के कई सबूत मिले हैं। इसके बाद डीजीपी अशोक कुमार की सिफारिश पर जांच विजिलेंस को सौपी गई है।
मूसा और हाकम की अहम भूमिका
माना जा रहा है कि यूकेएसएसएससी भर्ती की तरह 2015 की दारोगा भर्ती में भी हाकम सिंह और मूसा ने अहम भूमिका निभाई थी। कुछ दारोगाओं की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की मार्कशीट फर्जी तरीके से बनाई गई। भर्ती के लिए यूपी से भी प्रमाण पत्र बनवाए जाने की चर्चा है। इसके अलावा हाकम के साथ कुछ दरोगाओं की फोटो भी चर्चा का विषय बनी रही।
पंत विवि के तीन से चार कर्मचारी रडार पर
सूत्रों के मुताबिक, 2015 में हुए दरोगा भर्ती में विजिलेंस की प्रारंभिक जांच में ही परीक्षा की प्रक्रिया में शामिल रहे पंत विवि के तत्कालीन कर्मियों की भूमिका संदिग्ध मिली थी। वहीं यूकेएसएसएसी की परीक्षा घोटाले में सामने आयी लखनऊ की एक प्रिटिंग प्रेस की भूमिका यहां भी संदिग्ध मिली है। विजिलेंस टीम ने करीब एक हफ्ते तक पंत विवि जाकर दरोगा भर्ती प्रक्रिया से संबंधित दस्तावेज खंगाले। सूत्रों के मुताबिक, यूकेएसएसएससी भर्ती परीक्षा घोटाले में शामिल एक आरोपी इस घोटाले में भी संदिग्ध है। उसे जेल भेजा जा चुका है। वहीं उसके साथ तीन अन्य कार्मिकों की भूमिका में संदिग्ध मिली है। इनके खिलाफ विजिलेंस टीम ने साक्ष्य एकत्र किए हैं।
दरोगाओं पर गिर सकती है गाज
2015 बैच के प्रदेश में 339 और कुमाऊं में करीब 120 दरोगा इस समय कार्यरत हैं। बताया जा रहा है कि कुछ दरोगा ऐसे हैं जिन्होंने लाखों रुपये खर्च कर ओएमआर शीट का सौदा किया था, जबकि कुछ ऐसे भी हैं जो राजनीतिक पहुंच के चलते भर्ती होने में कामयाब रहे।
ओएमआर शीट और कॉल रिकॉर्ड खोजना चुनौती
जांच में सामने आया है कि भर्ती में इस्तेमाल की गई ओएमआर शीट को नष्ट कर दिया गया है। सवाल है कि बिना ओएमआर शीट के विजिलेंस घोटाले से जुड़े लोगों तक कैसे पहुंच पाएगी। सात साल पहले की कॉल डिटेल निकालना भी आसान नहीं होने वाला है।
15 दरोगाओं के सामने आए थे नाम
बताया जा रहा है कि एसटीएफ की जांच में 15 दारोगाओं के नाम सामने आए थे। शुरुआती जांच में पाया गया था कि इन्होंने नकल या ओएमआर शीट में छेड़छाड़ कर भर्ती परीक्षा पास की। अब जांच विजिलेंस के पास है तो माना जा रहा है कि मुकदमे के बाद इन दारोगाओं से भी पूछताछ होगी।
यह बोले एसपी विजिलेंस
2015 की पुलिस दरोगा भर्ती मामले में शासन से मुकदमा दर्ज करने के आदेश मिल गए हैं। विस्तृत आदेश की प्रतीक्षा की जा रही है, जिसके बाद नामजद लोगों के खिलाफ मुकदमे की कार्रवाई की जाएगी।
प्रहलाद नारायण मीणा, एसपी विजिलेंस, हल्द्वानी सेक्टर