कोर्ट का फैसला
, साढ़े 7 साल पहले बुक्सा आदिवासियों के लिए चल रहा रहा था संघर्ष
, आंदोलन के नेता मनीष कुमार और प्रभात ध्यानी हमले में हुए थे घायल
रामनगर। कार्बेट हलचल
साढ़े सात साल पहले समाजवादी लोकमंच के संयोजक और उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष पर किए गए हमले के मामले में दोषियों को रामनगर की एडीजे कोर्ट ने मंगलवार को सजा सुनाई है। दोनों नेताओं पर हमला वीरपुर लच्छी गांव के ढिल्लन स्टोन क्रेशर मालिकान के षड्यंत्र के तहत करवाने का आरोप था।
क्या था मामला
विवाद के मूल में तहसील रामनगर के बुक्सा जनजाति बहुल गांव वीरपुर लच्छी स्थित ढिल्लन स्टोन क्रेशर स्वामी द्वारा ग्रामीणों की गांव की सड़क पर जबरन उपखनिज से लदे वाहन चलाए जाना रहा। गांव की सड़क से जबरन भारी वाहन निकालने पर हुए विरोध करते हुए 1 मई 2014 को स्टोन क्रेशर स्वामी सोहन सिंह ने अपने आदमियों के साथ मिलकर गांव में तांडव मचाते हुए ग्रामीण महिलाओं के साथ जबरदस्त मारपीट की थी। मारपीट में कई ग्रामीण गंभीर घायल हुए थे।
मारपीट के खिलाफ़ आंदोलन
ग्रामीणों के पक्ष में समाजवादी लोकमंच व उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी सहित कई संगठनों ने क्रेशर स्वामी के खिलाफ लंबे आंदोलन का सूत्रपात किया था। इस आंदोलन की वजह से गांव की सड़क पर उपखनिज लाने वाले डंपरों की आवाजाही ठप्प हो गई थी। इसी मामले को की लेकर लंबे समय से यह दोनो नेता स्टोन क्रेशर स्वामी के निशाने पर थे। इसी वजह से 31 मार्च 2015 को दोपहर बाद वीरपुर लच्छी से रामनगर वापस लौट रहे समाजवादी लोक मंच के संयोजक मुनीष कुमार व उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के उपाध्यक्ष प्रभात ध्यानी पर लाठी-डंडों से लैस कई लोगों ने हमला कर दिया था। मोटर साइकिल से वापस लौट रहे दोनो नेताओं को गंभीर रूप से घायल हालत में पहले रामनगर अस्पताल लाया गया था। जहां से प्रभात ध्यानी को हल्द्वानी हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया गया था।
साढ़े सात साल की कानूनी लड़ाई
इस मामले में मुनीष कुमार की तरफ से हमला करने वाले आधा दर्जन से भी लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया गया था। जहां साढ़े सात लंबी सुनवाई के दौरान कई उतार-चढ़ाव से होता हुआ यह मुकदमा मंगलवार को अपनी परिणीति तक पहुंचा। अभियोजन पक्ष के अकाट्य तर्कों, साक्ष्यों और ठोस गवाही की बुनियाद पर स्थानीय न्यायालय ने आधा दर्जन से अधिक अभियुक्तों को दोषी करार देते हुए अलग-अलग धाराओं के तहत अलग-अलग सजा सुनाई।