सफलता : छह युवाओं के दल ने हिमालय क्षेत्र में खोजी नई झील

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खोज….

रुद्रप्रयाग में 5 दिन में 60 किलोमीटर की ट्रैकिंग कर नई झील तक पहुंचे

नई झील के चारों ओर नदी कुंड, कांछनी ताल, आशीत ताल, मैना ताल है


देहरादून। कॉर्बेट हलचल
टिहरी, पौड़ी और रुद्रप्रयाग जिले के छह युवाओं ने पांच दिन में 60 किमी की ट्रेकिंग कर हिमालय क्षेत्र में नई झील खोज निकाली है। इस झील को अभी कोई नाम नहीं दिया गया है। युवा ट्रेकर गूगल अर्थ व पुराने नक्शों की मदद से झील तक पहुंचे, जो बहुत सुंदर व भव्य है। यह 160 मीटर लंबी व 155 मीटर चौड़ी है।


27 अगस्त से ट्रेकिंग
गौंडार गांव के अभिषेक पंवार और आकाश पंवार, गिरीया गांव के दीपक पंवार, टिहरी-बडियागढ़ के विनय नेगी और ललित मोहन लिंगवाल और खंडाह-श्रीनगर के अरविंद रावत ने बीते 27 अगस्त को गौंडार गांव से ट्रेकिंग अभियान की शुरूआत की। रात्रि प्रवास के लिए मद्महेश्वर पहुंचे।
28 अगस्त को ये दल मद्महेश्वर से आगे बढ़ा और सात किमी की दूरी तय कर कांछनीखाल के कैंप स्थल पहुंचा। 29 अगस्त को बारिश के चलते उन्हें वहीं रात्रि प्रवास करना पड़ा। 30 को वे कांछनी ताल से होते हुए चौखंभा प्रेक्षण स्थल पहुंचे और वहां से आगे निकलते हुए सूखाताल के समीप कैंप किया। 

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ग्लेशियर कैंप से आगे बढ़ते हुए 150 मीटर नीचे दिखी नई झील।


1 सितंबर को खोजी नई झील
युवाओं के अनुसार सूखा ताल समुद्रतल से 4350 मीटर की ऊंचाई पर है। दल 31 अगस्त को सूखाताल से ग्लेशियर कैंप स्थल पहुंचे जो समुद्रतल से 5100 मीटर की ऊंचाई पर है। इसके बाद ट्रेकर एक सितंबर को ग्लेशियर कैंप से आगे बढ़ते हुए लगभग डेढ़ सौ मीटर नीचे उतरे जहां पर उन्हें झील नजर आई।


समुद्रतल से 4870 मीटर की ऊंचाई पर स्थित
यह झील समुद्रतल से 4870 मीटर की ऊंचाई है। इसकी लंबाई 160 मीटर, चौड़ाई 155 मीटर है। झील के नामकरण को लेकर उस पूरे क्षेत्र का अध्ययन किया जाएगा जो प्राचीन ताल व कुंड से सजा हुआ है। दल में शामिल अभिषेक पंवार ने बताया कि अनाम ताल के चारों तरफ उस क्षेत्र में नंदी कुंड, कांछनी ताल, आशीत ताल, मैना ताल है।

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ट्रैकिंग पर जाता युवाओं का दल।

गूगल अर्थ में देखने के बाद बनाई योजना
टिहरी-बडियारगढ़ के विनय सिंह नेगी ने बीते वर्ष जून-जुलाई में गूगल अर्थ में मद्महेश्वर-पांडवसेरा-नंदकुंडी-घिया विनायक पास-पनपतिया ट्रेकिंग सर्किट एक झील को पाया। इसके बाद उन्होंने अपने मित्रों से इस पर चर्चा की और सभी ने अपने-अपने स्तर से झील के बारे में जानकारी जुटाई। उन्हें पता चला कि अभी तक इस झील तक कोई भी ट्रेकर या पर्यटक नहीं पहुंचा है। उन्होंने पूरे ट्रेकिंग सर्किट के डिजिटल मैप तैयार किया और पुराने नक्शों की मदद भी ली। इसके बाद सभी छह युवाओं ने इस अनाम ताल की खोजबीन की योजना बनाई और इस वर्ष 27 अगस्त से अपना ताल खोज अभियान शुरू किया, जिसमें उन्हें बीते 1 सितंबर को सफलता मिली। 

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अपने अनुमान से रास्ता बनाया
अभिषेक पंवार बताते हैं कि ताल तक पहुंचने के लिए अनुमान के अनुसार रास्ता तय करना पड़ा। अत्यधिक ऊंचाई और मोबाइल नेटवर्क नहीं होने के कारण गूगल से भी मदद नहीं ली जा सकती थी लेकिन हमने पूर्व में जो डिजीटल मैप बनाया था और गूगल अर्थ से जानकारी जुुटाई थी उसी का ध्यान करते हुए ताल तक पहुंचे। ताल तक पहुंचने के लिए उन्हें दो दिन तक ग्लेशियरों के बीच गुजरना पड़ा। 


यह बोले अधिकारी…
युवाओं द्वारा नए ताल की खोज अपने आप में गौरव की बात है। मैं जल्द ही युवाओं से संपर्क कर ट्रेकिंग सर्किंट और ताल के बारे में जानकारी प्राप्त करूंगा। हरसंभव प्रयास होगा कि विभागीय स्तर पर वहां एक ट्रेकिंग दल भेजा जाए। 
– सुशील नौटियाल, जिला खेल और साहसिक खेल अधिकारी, रुद्रप्रयाग 

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