उत्तराखंड में गुलदारों की दहशत का मुद्दा संसद में गूंजा..सख्त कार्रवाई की मांग

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नई दिल्ली/पौड़ी गढ़वाल। कॉर्बेट हलचल

उत्तराखंड में गुलदार और बाघों के हमलों की कई खबरें सामने आ रही हैं। अबतक कई मासूम गुलदार का शिकार हो चुके हैं या गुलदार ले हमले में बुरी तरह घायल हो चुके हैं। गढ़वाल सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने संसद में इस मुद्दों को उठाते हुए कार्रवाई करने की मांग की है।

पूर्व सीएम और गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत ने बेबाकी से उत्तराखंड में मानव वन्यजीव संघर्ष का मुद्दा संसद में उठाया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में मानव वन्यजीव संघर्ष में एक वर्ष में 50 लोगों की मौत हो चुकी है जिसमें अनुमानित 70 फीसदी हमले गुलदार के हैं। ऐसे में उन्होंने सांसद ने केंद्रीय वन मंत्री से गुलदार के हमलों को रोकने के लिए ठोस नीति बनाए जाने की मांग की। दरअसल बीते बृहस्पतिवार को पूर्व सीएम व गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत ने लोकसभा में उत्तराखंड में मानव-वन्यजीव संघर्ष का मुद्दा उठाया।

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उन्होंने सदन में अपनी बात रखते हुए कहा कि उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में गुलदार के हमले बढ़ रहे हैं। अब तक राज्य में एक साल के भीतर 50 लोगों की मौत की सूचना है। उन्होेंने कहा कि जंगलों से सटे गांवों में जानवरों के हमलों से लोगों के बीच डर पैदा हो गया है और वहां रहना मुश्किल हो गया है। गांव में लोगों को जंगलों और खेतों में जाना ही पड़ता है। बच्चे स्कूल जाते हैं तो इन्हीं रास्तों से जाते हैं। ऐसे में गांवों में बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों एवं दिव्यांगों को जंगली जानवरों से सबसे ज्यादा खतरा है। सांसद ने कहा कि जिले के थलीसैंण, पाबौ, एकेश्वर, पोखड़ा, बीरोंखाल सहित सभी ब्लॉकों में गुलदार के हमलों से प्रभावित हैं। पौड़ी जिले के मझगांव, भरतपुर और डबरा गांव तो गुलदार की दहशत से खाली हो रहे हैं। ऐसे में पूर्व सीएम ने यह अपील करते हुए कहा कि राज्य में हमलों को रोकने के लिए ठोस नीति बनाई जाए।

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