Corbetthalchalदेहरादून— राज्य सूचना आयोग ने स्पष्ट किया है कि सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) के अंतर्गत सूचना मांगने का अधिकार केवल भारत के आम नागरिक को है, न कि किसी संस्था, यूनियन या संगठन के पदाधिकारी को संस्था के नाम पर। आयोग ने इस संदर्भ में एक अपील पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय सुनाया।
यह मामला रुद्रपुर निवासी हरेंद्र सिंह द्वारा करोलिया लाइटिंग एम्प्लाइज यूनियन के अध्यक्ष के रूप में सूचना मांगे जाने से जुड़ा था। श्री सिंह ने यूनियन के लेटरहेड पर एक सूचना आवेदन दायर किया था, जिसे संबंधित लोक सूचना अधिकारी ने स्वीकार करते हुए उन्हें पत्रावलियों के निरीक्षण का अवसर दिया। हालांकि, आयोग ने स्पष्ट किया कि ऐसा आवेदन सूचना अधिकार अधिनियम की परिधि में नहीं आता, क्योंकि यह एक संस्था की ओर से किया गया था, न कि एक आम नागरिक के रूप में।
राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने निर्णय में कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम भारत के नागरिकों को व्यक्तिगत रूप से सूचना मांगने का अधिकार देता है। संस्थाएं, यूनियन या निकाय भारत के नागरिक नहीं माने जाते, अतः वे इस अधिकार का प्रयोग नहीं कर सकते।
आयोग ने इस मामले में गंभीर लापरवाही पाते हुए तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी श्री अरविन्द सैनी और विभागीय अपीलीय अधिकारी को कड़ी चेतावनी जारी की है। आदेश में कहा गया कि लोक सूचना अधिकारी ने यह परीक्षण नहीं किया कि अनुरोध पत्र अधिनियम के अनुरूप है या नहीं। वहीं, प्रथम अपीलीय अधिकारी ने भी अपील का निस्तारण सरसरी ढंग से किया, जो कि अर्द्ध न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन है।
आयोग ने यह भी टिप्पणी की कि भविष्य में सभी लोक सूचना अधिकारियों और अपीलीय अधिकारियों को अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार कार्यवाही सुनिश्चित करनी चाहिए। अपीलार्थी को भी स्पष्ट किया गया है कि भविष्य में केवल एक आम नागरिक के रूप में ही सूचना की मांग करें, न कि किसी यूनियन या संस्था के प्रतिनिधि के तौर पर।


