पूरा उत्तराखंड ही नहीं बल्कि पूरा देश अंकिता हत्याकांड को लेकर स्तंभ है वही अंकित हत्याकांड में रेगुलर पुलिस के द्वारा 24 घंटे के अंदर कार्रवाई करते हुए खुलासा कर दिया गया था लेकिन इसी बीच राजस्व पुलिस की पूरी भूमिका एक संदिग्ध नजर पर आकर सामने खड़ी हो चुकी है क्योंकि कहीं ना कहीं पर भी पुलिस के द्वारा की गई समस्त कार्यवाही संदिग्ध नजर आ रही है बता दें कि राजस्व पुलिस की पटवारी चौकी की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है.
क्षेत्रीय पटवारी के अंकिता के गुमशुदा होने की जानकारी मिलने के महज कुछ ही घंटों बाद अचानक छुट्टी पर चले जाने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं. जबकि, इस मामले में लापरवाही की गाज चार्ज लेने वाले नए पटवारी पर गिरी है.दरअसल, 18 सितंबर को वनंत्रा रिजॉर्ट रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी लापता हुई. 19 सितंबर को रिजॉर्ट मालिक आरोपी पुलकित आर्य ने कांडाखाल चौकी पर तैनात राजस्व पुलिस के उपनिरीक्षक (पटवारी) वैभव प्रताप को इसकी सूचना दी.
वैभव प्रताप ने अंकिता के पहचान संबंधी दस्तावेजों के आधार पर इस बाबत उसके परिजनों से भी संपर्क किया. बावजूद, गुमशुदगी दर्ज करने से पहले ही वह चार दिन की छुट्टी पर चला गया. 20 सितंबर को चौकी का चार्ज पटवारी विवेक कुमार को दिया गया. विवेक कुमार ने तत्काल गुमशुदगी दर्ज कर ली. कुछ-कुछ घंटों में बदलते गुमशुदगी के इस मामले में 21 सितंबर को राजस्व पुलिस ने यह मामला रेगुलर पुलिस को ट्रांसफर करने की सिफारिश डीएम पौड़ी को भेजी. कलेक्टर ने भी तत्काल एक्शन लेते हुए अगले ही दिन 22 सितंबर को मुकदमा रेगुलर पुलिस यानी लक्ष्मणझूला पुलिस को ट्रांसफर भी कर दिया.पुलिस ने 24 घंटे में खुलासा करते हुए रिजॉर्ट मालिक पुलकित आर्य, प्रबंधक सौरभ भास्कर और सहायक प्रबंधक अंकित गुप्ता को गिरफ्तार कर अंकिता की हत्या का खुलासा भी कर दिया.
हैरानी की बात यह है कि लापरवाही के आरोप में डीएम ने चार्ज संभालते ही गुमशुदगी दर्ज करने वाले पटवारी विवेक कुमार को सस्पेंड किया. सवाल है कि शिकायत मिलते ही गुमशुदगी दर्ज करने वाले पटवारी विवेक कुमार पर गाज गिरी, लेकिन पटवारी वैभव प्रताप की भूमिका की जांच प्रशासन ने क्यों नहीं की? दिलचस्प यह भी है कि एक महीने पहले ही पटवारी वैभव प्रताप को कांडखाल चौकी से ट्रांसफर कर दिया गया था. बावजूद, वह यहीं कैसे डटा रहा. उसे रिलीव क्यों नहीं किया गया? इस तरह की जानकारियां सामने आने के बाद अब इस घटनाक्रम में राजस्व पुलिस की भूमिका सवालों में है.यमकेश्वर तहसीलदार मनजीत गिल के मुताबिक राजस्व पुलिस ने इस मामले में कोई लापरवाही नहीं बरती. 19 सितंबर को मौखिक शिकायत मिलते ही पटवारी वैभव प्रताप ने अंकिता भंडारी के परिजनों से संपर्क कर घर में उसकी मौजूदगी की तस्दीक की.
अगले ही दिन उनके पिता की तबीयत खराब होने के चलते वह चार दिन छुट्टी पर चल गए. पटवारी विवेक कुमार को चार्ज दिया गया, जिसके बाद उन्होंने लिखित शिकायत मिलते ही पर 20 सितंबर को गुमशुदगी दर्ज की. इस मामले में कोई लापरवाही राजस्व पुलिस की नहीं थी. परिजनों के आरोपों के आधार पर चार्ज संभालने वाले पटवारी विवेक कुमार को सस्पेंड किया गया. जबकि, लिखित शिकायत मिलते ही न सिर्फ केस दर्ज किया गया, बल्कि राजस्व पुलिस ने यह मामला रेगुलर पुलिस को ट्रांसफर करने के लिए रिपोर्ट डीएम को भेजी.
पटवारी वैभव प्रताप का ट्रांसफर हुआ था, लेकिन आपदा को लेकर फिलहाल उन्हें मौखिक आदेश पर यहीं रोका गया था.अंकिता हत्याकांड की जांच के लिए डीआईजी पी रेणुका देवी की अगुवाई में गठित एसआईटी की जांच शुरू हो चुकी है. अब हर किसी को एसआईटी की जांच रिपोर्ट का बेसब्री से इंतजार है. इसमें राजस्व पुलिस को लेकर भी कुछ सामने आता है या नहीं ये देखना दिलचस्प होगा.