चन्द्रशेखर जोशी
रामनगर-राजकीय इंटर कालेज ढेला में श्रीदेव सुमन के 79 वें शहादत दिवस पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए
गए।शुरुआत प्रधानाचार्य श्रीराम यादव व स्टाफ द्वारा उनके चित्र पर माल्यार्पण से हुई।
12 वीं की छात्रा सानिया अधिकारी ने प्रार्थना सभा में उनके जीवन के बारे में बताते हुए कहा श्रीदेव सुमन का जन्म 25 मई 1916 को टिहरी के जौल गांव में हुआ था. ब्रिटिश हुकूमत और टिहरी की अलोकतांत्रिक राजशाही के खिलाफ लगातार आंदोलन कर रहे श्रीदेव सुमन को दिसंबर 1943 को टिहरी की जेल में डाल दिया गया था।
जिसके बाद उन्होंने भूख हड़ताल करने का फैसला किया. 209 दिनों तक जेल में रहने और 84 दिनों के भूख हड़ताल के बाद श्रीदेव सुमन का 25 जुलाई 1944 को निधन हो गया.अंग्रेजी प्रवक्ता नवेंदु मठपाल ने बताया कि
जेल में सुमन ने 3 मई 1944 को अपना ऐतिहासिक अनशन शुरू किया और 25 जुलाई 1944 को शाम 4 बजे उन्होंने प्राणोत्सर्ग कर दिया।
टिहरी से मात्र 12 मील दूर सुमन के गांव जौलगांव में उनके परिजनों को मृत्यु का समाचार 30 जुलाई को पहुंचाया गया। उनकी पत्नी श्रीमती विनय लक्ष्मी उन दिनों महिला विद्यालय हरिद्वार में थी, जिन्हें कोई सूचना नहीं दी गयी। लेकिन श्रीदेव सुमन का यह बलिदान न केवल टिहरी की राजशाही के अंत का कारण बना बल्कि देशभर के स्वाधीनता सेनानियों के लिये प्रेरणा का स्रोत भी बना।
टिहरी जेल में 84 दिनों की भूख हड़ताल के बाद श्रीदेव सुमन की 25 जुलाई 1944 को शहादत पर पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 31 दिसम्बर 1945 का उदयपुर में आयोजित देशी राज्य लोक परिषद के अधिवेशन में अपने भाषण में कहा था कि हमारे साथियों में से जो अनेक शहीद हुये हैं उनमें टिहरी राज्य के श्रीदेव सुमन का मैं विशेष तौर पर उल्लेख करना चाहता हूं। हममें से अनेक इस वीर को याद करते रहेंगे, जो कि राज्य की जनता की आजादी के लिये काम किया करते थे…।
इस मौके पर बच्चों को बारामासा द्वारा श्रीदेव सुमन के जीवन पर बनी डॉक्यूमेंट्री भी सुनाई गई।बच्चों द्वारा कला शिक्षक प्रदीप शर्मा के दिशा निर्देशन में उनका चित्र भी बनाया गया।कार्यक्रम के अंत में वृक्षारोपण भी किया गया।इस मोके पर श्रीराम यादव,मनोज जोशी,सी पी खाती,नवेंदु मठपाल,शैलेंद्र भट्ट, बालकृष्ण चंद,सुभाष गोला, जया बाफिला मौजूद रहे।


