विश्व आर्द्रभूमि दिवस ( World Wetlands Day) के अवसर पर घूमा आर्द्र भूमि क्षेत्र और देखी फिल्म

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चन्द्रशेखर जोशी

विश्व आर्द्रभूमि दिवस (World Wetlands Day) के  अवसर पर राजकीय इंटर कालेज ढेला के बच्चों ने
आर्द्र भूमि क्षेत्र का भ्रमण किया और फिल्म देख परिस्थिति में आर्द्र भूमि के महत्व को समझा।बच्चों को जानकारी देते हुए गोल्डन टस्क से जुड़े वरिष्ठ नेचर गाइड सुरेश रावत ने बताया कि यह दिवस प्रत्येक साल 2 फरवरी को पूरी दुनिया में मनाया जाता है। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य ग्लोबल वार्मिंग का सामना करने में आर्द्रभूमि जैसे दलदल तथा मंग्रोव के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना है।

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आर्द्रभूमि दुनिया के कुछ सबसे नाजुक और संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्र हैं जो पौधों और जानवरों के लिए अद्वितीय आवासों का समर्थन करते हैं, तथा दुनिया भर में लाखों लोगों को आजीविका प्रदान करते हैं। इस दिवस का आयोजन लोगों और हमारे ग्रह हेतु आर्द्रभूमि की महत्त्वपूर्ण भूमिका के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने हेतु किया जाता है।जीव विज्ञान प्रवक्ता सी पी खाती ने बताया कि विश्व आर्द्रभूमि दिवस पहली बार 02 फरवरी, 1997 को रामसर सम्मलेन के 16 वर्ष पूरे होने पर मनाया गया था।  नमी या दलदली भूमि वाले क्षेत्र को आर्द्रभूमि या वेटलैंड कहा जाता है।2 फरवरी, 1971 को कैस्पियन सागर के तट पर ईरानी शहर रामसर में वेटलैंड्स पर कन्वेंशन को अपनाने की तारीख को चिह्नित करने हेतु यह दिवस मनाया जाता है।

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आर्द्रभूमि एक ऐसा स्थान है जहां पौधे और पशु प्रजातियों की घनी विविधता पाई जाती है और ये जैव विविधता से भी समृद्ध होता हैं। ये ऐसे भूमि क्षेत्र हैंजो सालों भर आंशिक रूप से या पूर्णतः जल से भरा रहता है। भारत में आर्द्रभूमि ठंडे एवं शुष्क इलाकों से लेकर मध्य भारत के कटिबंधीय मानसूनी इलाकों तथा दक्षिण के नमी वाले इलाकों तक फैली हुई है।बच्चों द्वारा विषय और दिवस को बेहतरीन तरीके से समझाने के लिए गोल्डन टस्क रिजॉर्ट में एक फिल्म भी दिखाई गई।जिसको देख बच्चों ने जाना कि आर्द्र भूमि के कम  होते जाने से कैसे पारिस्थितिकीय तंत्र गड़बड़ा रहा है और सारस तेजी से खत्म होता जा राहा है।इस मौके पर सुरेश रावत,नवेंदु मठपाल,सी पी खाती, जया बाफिला,पद्मा मौजूद रहे।