रामनगर। कार्बेट टाइगर रिजर्व, रामनगर से एक महत्वपूर्ण वन्यजीव संरक्षण प्रयास के तहत एक नर बाघ को राजाजी टाइगर रिजर्व के पश्चिमी हिस्से में सफलतापूर्वक स्थानांतरित (ट्रांसलोकेट) किया गया है। यह ट्रांसलोकेशन राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की अनुमति के पश्चात संपन्न हुआ। यह इस श्रृंखला का पांचवां और अंतिम बाघ है जिसे कार्बेट से राजाजी भेजा गया है।
फील्ड डायरेक्टर डॉ. साकेत बडोला के अनुसार, बाघ का चयन एक लंबी और तकनीकी प्रक्रिया के तहत किया गया, जिसमें उत्तराखण्ड के प्रमुख वन्यजीव संरक्षक से अनुमति प्राप्त की गई। यह नर बाघ लगभग पांच वर्ष का है और इसे बिजरानी रेंज के सांवल्दे दक्षिणी बीट (नॉन-टूरिज्म जोन) से रेस्क्यू किया गया।
रेस्क्यू के बाद बाघ को प्राथमिक स्वास्थ्य परीक्षण के लिए ढेला स्थित रेस्क्यू सेंटर लाया गया, जहां वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी डॉ. दुष्यंत शर्मा (कार्बेट टाइगर रिजर्व) और डॉ. राकेश नौटियाल (राजाजी टाइगर रिजर्व) की संयुक्त टीम ने परीक्षण कर बाघ को पूरी तरह स्वस्थ पाया। इसके अतिरिक्त, बाघ से सेम्पल लेकर उन्हें IBRI, बरेली भेजा गया है।
बाघ की जंगल में निगरानी और उसकी गतिविधियों को समझने के लिए उसे रेडियो कॉलर लगाया गया है। इस संपूर्ण ट्रांसलोकेशन प्रक्रिया में WWF (वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर) का भी सहयोग रहा।
डॉ. बडोला ने बताया कि बाघ को पहले राजाजी टाइगर रिजर्व में सॉफ्ट रिलीज किया जाएगा ताकि वह क्षेत्र की पारिस्थितिकी से अनुकूलित हो सके। इसके पश्चात परिस्थितियों के उपयुक्त होने पर उसे हार्ड रिलीज किया जाएगा।
रेस्क्यू और रेडियो कॉलरिंग के दौरान मौके पर मौजूद प्रमुख अधिकारी व कर्मचारी:
- डॉ. साकेत बडोला, निदेशक, कार्बेट टाइगर रिजर्व।
- उप प्रभागीय वनाधिकारी, कालागढ़, कार्बेट टाइगर रिजर्व।
- डॉ. दुष्यंत शर्मा, वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी, कार्बेट टाइगर रिजर्व।
- डॉ. राकेश नौटियाल, वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी, राजाजी टाइगर रिजर्व।
- वन क्षेत्राधिकारी, ढेला, कार्बेट टाइगर रिजर्व।
यह कदम दोनों टाइगर रिजर्वों की जैव विविधता और बाघों की स्थायी आबादी को बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है।


