अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर चल रहे कार्यक्रमों का सभा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ समापन

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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर चल रहे कार्यक्रमों का सभा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ समापन

महिला एकता मंच द्वारा 8 मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर 8 मार्च को पैठ पड़ाव से प्रारंभ कार्यक्रमों का 10 मार्च को ग्राम सुंदरखाल में सभा के पश्चात आज ग्राम हिम्मतपुर डोटियाल में सभा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ समापन किया गया।

सभा का संचालन करते हुए मंच की संयोजक ललिता रावत ने कहा कि कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हम महिलाओं के लिए कोई अनुष्ठान नहीं बल्कि अपने संघर्षों की विरासत को आगे बढ़ाने एवं अपनी पूर्वज महिलाओं के संघर्षों को याद करने का दिन है। उन्होंने कहा कि महिलाएं आज विज्ञान, तकनीक, शिक्षा स्वास्थ्य समेत सभी क्षेत्रों में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं इसके बावजूद भी हम महिलाओं को समाज में वो स्थान नहीं मिल पाया है जिसकी हम हकदार हैं।

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नीलू रस्तोगी ने 8 मार्च को सार्वजनिक अवकाश घोषित की जाने की मांग करते हुए कहा कि सरकार सभी तीज-त्योहारों पर अवकाश देती  है परंतु  8 मार्च जो हम महिलाओं की संघर्षों की विरासत को आगे बढ़ाने का दिन है, इस दिन को सार्वजनिक अवकाश घोषित नहीं किया जाना देश सरकारों की पुरुष प्रधान मानसिकता को उजागर करता है।

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प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की शीला शर्मा ने कहा कि समाजवाद में ही महिलाओं को वास्तविक रूप से बराबरी का अधिकार मिल सकता है।

विद्यावती शाह ने कहा कि सरकार द्वारा दिया गया बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देश की आधी आबादी के साथ छलावा है उन्होंने कहा कि ना महिलाएं घर में सुरक्षित है और ना ही घर के बाहर। उन्होने कहा कि हम देशवासियों व महिलाओं को जो भी अधिकार मिले हैं वह संघर्षों के दम पर ही मिले हैं उत्तराखंड राज्य भी का निर्माण भी संघर्षों की ही देन था तथा देश से अंग्रेज भी जनता के संघर्षों की वजह से ही देश छोड़ने के लिए विवश हुए थे अतः हम सभी को संघर्षों की परंपरा और विरासत को आगे बढ़ाने की जरूरत है।

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कार्यक्रम में महिलाओं ने नृत्य नाटिका एवं गीत भी प्रस्तुत किये।

सभा को तुलसी बेलवाल, कौशल्या चुनियाल, सरस्वती जोशी, किसान संघर्ष समिति के ललित उप्रेती, संजय मेहता, मयंक मैनाली, समाजवादी लोक मंच के मुनीष कुमार आदि ने संबोधित किया।