श्रद्धालुओं के लिए खुले हेमकुंड साहिब के कपाट, भव्य सजावट के बीच दर्शन शुरू

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उत्तराखंड में सिख धर्म के पवित्र तीर्थ स्थलों में प्रमुख हेमकुंड साहिब के कपाट रविवार को श्रद्धालुओं के लिए विधिवत रूप से खोल दिए गए। समुद्र तल से करीब 15,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस धार्मिक स्थल के कपाट खुलते ही लोकपाल घाटी एक बार फिर श्रद्धा, भक्ति और आस्था के रंगों से सराबोर हो गई।

बोले सो निहाल सत श्री अकाल के जयघोष के बीच आज, श्री हेमकुंट साहिब गुरुद्वारा के कपाट बोले सो निहाल सत श्री अकाल के पवित्र जयघोष के साथ सुबह के समय खोले गए। इस अवसर पर गढ़वाल स्काउट्स के बैंड और पंजाब से आए दो बैंडों ने शोभायात्रा के आगे चलकर आनंदमय प्रस्तुति दी। मुख्य ग्रंथी मिलाप सिंह जी ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब को अपने सिर पर धारण कर शीतकालीन निवास से गुरुद्वारा तक का मार्ग तय किया। सेना के जवानों ने शोभायात्रा का संचालन किया और अनुशासन बनाए रखा। संगत में इस अवसर पर अपार उत्साह और भावनाओं का समावेश देखा गया।

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धार्मिक समागम की शुरुआत सुबह 10 बजे सुखमनी साहिब के पाठ के साथ हुई, जिसके बाद भाई मक्खन सिंह जी द्वारा कीर्तन किया गया। इसके पश्चात दोपहर 12:30 बजे मानवता के कल्याण के लिए अरदास की गई। आज श्री हेमकुंट साहिब में पांच हजार से अधिक श्रद्धालुओं का समागम हुआ।


आईटीबीपी, एसडीआरएफ और पुलिस ने पूरे ट्रेक मार्ग पर तैनात रहकर तीर्थयात्रियों को ग्लेशियर और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों को पार करने में सहायता प्रदान की। ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री नरेंद्र जीत सिंह बिंद्रा ने इस अवसर पर संगत का स्वागत किया और सेना को बर्फ हटाने और संगत के लिए दर्शन संभव बनाने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने विशेष रूप से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के अथक प्रयासों की सराहना की, जिनके सहयोग से मार्च में भूस्खलन के कारण क्षतिग्रस्त हुए गोविंदघाट के पुराने पुल के स्थान पर अल्प समय में एक वैली ब्रिज का निर्माण संभव हो सका। इस अवसर पर ब्रिगेड कमांडर सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही, जिन्हें ट्रस्ट द्वारा सम्मानित किया गया।

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इस अवसर पर गोविंदघाट के महाप्रबंधक श्री सेवा सिंह और श्री हेमकुंट साहिब के प्रबंधक श्री गुरनाम सिंह उपस्थित थे। विश्व भर से आए श्रद्धालुओं ने इस आयोजन में हिस्सा लिया। असाधारण सजावट ने माहौल को और भी दिव्य बना दिया। चारों ओर 5 फीट बर्फ के बीच इतने सारे तीर्थयात्रियों का दर्शन करना एक अत्यंत सराहनीय और भावनात्मक अनुभव रहा।

कपाट खुलने से पूर्व गुरुद्वारे को करीब 7 क्विंटल फूलों, रंग-बिरंगे गुब्बारों, तोरण पताकाओं और पुष्पमालाओं से भव्य रूप में सजाया गया। चारों ओर फैली सप्तश्रृंगी बर्फीली चोटियां और पूरी तरह से जमी हुई हिम झील (सरोवर) का दृश्य श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत संगम प्रदान कर रहा है।

हेमकुंड साहिब को दशम गुरु श्री गोविंद सिंह जी की तपस्थली माना जाता है। श्रद्धालु गोविंदघाट से लगभग 15 किलोमीटर लंबा ‘गुरु आस्था पथ’ तय कर यहां पहुंचते हैं। यात्रा मार्ग की सभी तैयारियां पूर्व में पूरी कर ली गई थीं। मार्ग पर सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवा, पेयजल और विश्राम स्थलों सहित सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।

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अब तक हेमकुंड साहिब यात्रा के लिए 75,000 से अधिक श्रद्धालु ऑनलाइन पंजीकरण करा चुके हैं, जबकि ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया भी जारी है। श्रद्धालुओं की सहूलियत के लिए डंडी-कंडी, पालकी, घोड़ा-खच्चर जैसी सुविधाएं भी उचित दरों पर एडीसी भ्यूंडार के माध्यम से उपलब्ध हैं।

गोविंदघाट गुरुद्वारे के पास अलकनंदा नदी पर बने नए पुल ने यात्रा को और भी सुगम बना दिया है। हालांकि श्रद्धालुओं को पुलना गांव तक कुछ दूरी पैदल तय करनी होगी, इसके बाद वे छोटे वाहनों की सहायता से आगे बढ़ सकते हैं।

हर वर्ष की तरह इस बार भी हेमकुंड साहिब यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है। इसे देखते हुए स्थानीय प्रशासन और गुरुद्वारा प्रबंधन समिति द्वारा यात्रा को सुरक्षित, व्यवस्थित और सुगम बनाने के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं।

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