उत्तराखंड साईबर क्राईम पुलिस को मिली बड़ी सफलता,लगभग 02 करोड़ की ठगी करने वाले आरोपी को यहाँ से किया गिरफ्तार

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लगभग 02 करोड़ की ठगी करने वाले अपराध से सम्बन्धित अभियुक्त को गैर राज्य राजस्थान में जाकर चिन्हित करके अभियोग का खुलासा
05 अलग-अलग राज्य पुलिस द्वारा उसकी तलाश की जा रही थी

साईबर क्राईम पुलिस स्टेशन देहरादून द्वारा यूट्यूब वीडियो को फॉलो, लाईक व सबस्क्राइब करने के टास्क के नाम पर जल्दी पैसे कमाने का लालच देकर अभियोग का खुलासा

वर्तमान में साइबर अपराधी आम जनता की गाढ़ी कमाई हड़पने हेतु अपराध के नये-नये तरीके अपनाकर धोखाधड़ी कर रहे है। इसी परिपेक्ष्य में ठगों द्वारा फर्जी साइट तैयार कर आम जनता से ई-मेल व दूरभाष व अन्य सोशल साईटों के माध्यम से सम्पर्क कर स्वयं को विभिन्न नामी-गिरामी कम्पनियों का एग्जूटिव बताते हुये टेलीग्राम व यूट्यूब के माध्यम से यू ट्यूब वीडियो को फॉलो, लाईक एवं सब्स्क्राईब करने के नाम पर घर बैठे लाभ कमाने का लालच देकर लाखों रुपये की धोखाधडी की जा रही है ।

इसी क्रम में एक प्रकरण साइबर क्राईम पुलिस स्टेशन को प्राप्त हुआ जिसमें हरिद्वार निवासी शिकायतकर्ता के साथ अज्ञात अभियुक्तो द्वारा स्वंय को इण्टीग्रिटी कम्पनी का एच.आर. मैनेजर बताते हुये यू ट्यूब व इंस्टाग्राम वीडियो को फॉलो, लाईक एवं सब्स्क्राईब करने के टास्क के नाम पर जल्दी पैसा कमाने का लालच देकर शिकायतकर्ता से धोखाधड़ी से विभिन्न बैक खातो में लगभग 19,24,053/- (उन्नीस लाख चौबीस हज़ार त्रेपन रुपये) की धनराशि की ठगी करने सम्बन्धी शिकायत के आधार पर साइबर क्राईम पुलिस स्टेशन देहरादून पर मु0अ0सं0 11/23 धारा 420,120 बी भादवि व 66(सी)(डी) आईटी एक्ट बनाम अज्ञात का अभियोग पंजीकृत किया गया तथा विवेचना साइबर थाने के निरीक्षक विकास भारद्वाज के सुपुर्द की गयी।

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अभियोग में अभियुक्तों के विरुद्ध कार्यवाही हेतु गठित टीम द्वारा घटना में तकनीकी विश्लेषण से प्रकाश में आया कि द्वितीय लाभार्थी खाता DBS बैंक को अभियुक्त नरेन्द्र दुखिया पुत्र राम नारायण दुखिया निवासी ग्राम गिरावण्डी, तहसील खुमसर जिला नागौर राजस्थान के द्वारा संचालित करना पाया गया । पुलिस टीम को तुरन्त राजस्थान उक्त अभियुक्त से पूछताछ एवं विवेचना हेतु रवाना किया गया । पुलिस टीम द्वारा उक्त अभियुक्त को पतारसी सुरागरसी करते हुए तलाश कर वास्ते पूछताछ थाना नागौर खींवसर नागौर राजस्थान लाया गया । पूछताछ से ज्ञात हुआ कि उक्त अभियुक्त द्वारा अपने दोस्त हरचंद दारा के नाम पर उक्त खाता खुलवाया गया था तथा ट्रेडिंग के नाम पर मुख्य अभियुक्त जिसको वह नहीं जानता था वह पैसे ट्रांस्फर करता था । जिस आधार पर उक्त व्यक्ति 120बी भादवि के अभियुक्त होना पाया गया है । अतः उक्त व्यक्ति को 41क CrPC का नोटिस तामील कराया गया ।

अपराध का तरीकाः-
अभियुक्तगण द्वारा नामी गिरामी कम्पनियों की फर्जी वैबसाईट बनाकर आम जनता से वट्सएप / ई-मेल / दूरभाष व अन्य सोशल साईटों के माध्यम से सम्पर्क कर स्वयं को विभिन्न नामी-गिरामी कम्पनियों के एचआर / कर्मचारी  प्रतिदिन 3-8 हजार रुपये कमाने का प्रलोभन देकर जॉब ऑफर कर लिंक भेजकर टेलीग्राम एप डाउनलोड करवाकर व अपने टेलीग्राम ग्रुप में जोड़ना । तत्पशचात विभिन्न यू ट्यूब वीडियो लाईक एवं सब्स्क्राईब करने के टास्क देते है तथा उसमें निवेश कर अधिक लाभ कमाने का लालच देकर धोखाधड़ी से भिन्न-भिन्न लेन देन के माध्यम से धनराशि प्राप्त करते है व धोखाधडी से प्राप्त धनराशि को विभिन्न बैक खातो में प्राप्त कर उक्त धनराशि का प्रयोग करते है । अभियुक्तगणो द्वारा उक्त कार्य हेतु फर्जी सिम, आईडी कार्ड तथा फर्जी खातों का प्रयोग कर अपराध कारित किया जाता है । टेलीग्राम चैनल का संचालन दुबई से किया जा रहा है। आरोपी ने कबूला कि वह लोगों से दोस्ती करता था और फर्जी अकाउंट खोलता था। पी2पी Crypto ट्रेडिंग में विवादित पैसा भी लगाया।


क्यों एक P2P क्रिप्टो ट्रेडिंग के साथ सावधान रहना है?
एक व्यक्ति को नहीं पता कि क्रिप्टो किससे खरीदा गया था और किससे उसने क्रिप्टो को आगे बेचा। अक्सर, अपराधी धोखाधड़ी के पैसे से खरीदे गए क्रिप्टो को उन लोगों को बेचते हैं जो आगे किसी और को बेचते हैं।

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प्रकाश में आया अभियुक्तः-
1- नरेन्द्र दुखिया पुत्र राम नारायण दुखिया निवासी ग्राम गिरावण्डी, तहसील खुमसर जिला नागौर राजस्थान – उम्र 24 वर्ष

पुलिस टीमः-
1- निरीक्षक विकास भारद्वाज (विवेचक)
2- उ0नि0 राजीव सेमवाल (पुलिस टीम)
3- अपर उ0नि0 सुरेश कुमार (पुलिस टीम)
4- कानि0 पवन पुण्डीर (पुलिस टीम)
5- कानि0 शादाब अली (तकनीकी सहयोग)

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वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एस0टी0एफ0 उत्तराखण्ड  आयुष अग्रवाल द्वारा जनता से अपील की है कि ऑनलाईन जॉब हेतु किसी भी फर्जी वेबसाईट, मोबाईल नम्बर, लिंक आदि का प्रयोग ना करें। किसी भी प्रकार के ऑनलाईन जॉब हेतु आवेदन करने से पूर्व उक्त साईट का पूर्ण वैरीफिकेशन स्थानीय बैंक, सम्बन्धित कम्पनी आदि से भलीं भांति इसकी जांच पड़ताल अवश्य करा लें तथा गूगल से किसी भी कस्टमर केयर नम्बर सर्च न करें। कोई भी शक होने पर तत्काल निकटतम पुलिस स्टेशन या साइबर क्राईम पुलिस स्टेशन को सम्पर्क करें । वित्तीय साईबर अपराध घटित होने पर तुरन्त 1930 नम्बर पर सम्पर्क करें । इसके अतिरिक्त गिरफ्तारी के साथ-साथ साईबर पुलिस द्वारा जन जागरुकता हेतु अभियान के अन्तर्गत हैलीसेवा वीडियो साइबर पेज पर प्रेषित किया गया है।

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