ठगी का हाईटेक जाल: बुजुर्गों को टारगेट कर रहे साइबर अपराधी, दो गिरफ्तार

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उत्तराखंड में एक बुजुर्ग के साथ साइबर ठगी का चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर आरोपियों ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ का डर दिखाकर 7 लाख 20 हजार रुपये की ठगी को अंजाम दिया। इस मामले में उत्तराखंड पुलिस की विशेष टीम ने शानदार कार्रवाई करते हुए मध्य प्रदेश के खरगौन जिले से गिरोह के दो सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार किया है।

घटना अल्मोड़ा जिले के लमगड़ा क्षेत्र की है, जहां रहने वाले 70 वर्षीय जीवन सिंह मेहता को 13 जनवरी 2025 को एक वीडियो कॉल प्राप्त हुई। कॉल करने वाले ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताते हुए कहा कि उनके आधार और पैन कार्ड का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग केस में हुआ है। बुजुर्ग को ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर धमकाया गया कि यदि उन्होंने किसी से बात की या आदेश का पालन नहीं किया तो उनकी गिरफ्तारी या एनकाउंटर हो सकता है।

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पीड़ित को लगातार पांच दिनों तक वीडियो कॉल पर डर के माहौल में रखा गया और कथित जांच के नाम पर तीन किस्तों में कुल ₹7,20,000 रुपये उनके बैंक खातों से अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करवा लिए गए।

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लंबे समय तक पैसे वापस न मिलने और ठगों का संपर्क टूट जाने पर जीवन सिंह ने 21 फरवरी को लमगड़ा थाने में मामला दर्ज कराया। मामले की गंभीरता को देखते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) देवेंद्र पींचा के निर्देशन में लमगड़ा थाना, एसओजी और साइबर सेल की संयुक्त टीम ने जांच शुरू की।

तकनीकी विश्लेषण और कई डिजिटल सुरागों के आधार पर पुलिस टीम ने 21 अप्रैल को मध्य प्रदेश के खरगौन जिले से दो आरोपियों—संतोष गुर्जर और कपिल सोनी—को गिरफ्तार किया। पूछताछ के दौरान सामने आया कि यह गिरोह देशभर में बुजुर्गों को टारगेट कर डिजिटल डर पैदा करके ठगी करता है। गिरोह के अन्य सदस्यों और नेटवर्क की जांच जारी है।

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इस सफलता के लिए एसएसपी अल्मोड़ा देवेंद्र पींचा ने पुलिस टीम को ₹10,000 का नकद इनाम देने की घोषणा की है। टीम में लमगड़ा थानाध्यक्ष राहुल राठी, एसओजी प्रभारी भुवन जोशी, साइबर सेल प्रभारी कुमकुम धानिक, चौकी प्रभारी उपनिरीक्षक दिनेश परिहार, कांस्टेबल परवेज अली आदि शामिल रहे।